Pitru Paksha 2025: इस साल पितृपक्ष की शुरुआत एक अनोखे और दुर्लभ खगोलीय संयोग के साथ हो रही है। इस बार पितृपक्ष का आरंभ 7 सितंबर से होने जा रहा है, और इसी दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। यह घटना 122 साल में एक बार देखने को मिलती है। यही कारण है कि इसका महत्व और बढ़ गया है। तो हम आपको पितृपक्ष से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
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चंद्र ग्रहण का समय

आपको बता दें कि 7 सितंबर दिन रविवार की रात 11 बजकर 22 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू हो रहा है, जो कि रात 12 बजकर 10 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा, जिसका अर्थ है कि पृथ्वी की बाहरी छाया चंद्रमा पर पड़ेगी और चंद्रमा की चमक थोड़ी कम हो जाएगी। यह उपच्छाया ग्रहण है इसका कोई सूतक काल नहीं होगा। इसलिए इसके प्रभाव को तुलनात्मक रूप से हल्का माना जाता है।
पितृपक्ष पर क्या होगा ग्रहण का असर?
चंद्र ग्रहण और पितृपक्ष का एक साथ आना अनूठा खगोलीय संयोग है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान तर्पण या श्राद्ध कर्म करने से बचना चाहिए। यह माना जाता है कि ग्रहण के दौरान भोजन बनाना और खाना वर्जित होता है साथ ही शुभ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं करना चाहिए। यह एक उपच्छाया ग्रहण है इस कारण इसका कोई सूतक काल भी नहीं होगा। इसलिए इसका पितृपक्ष के तर्पण और श्राद्ध कर्म पर कोई नकारात्मक असर देखने को नहीं मिलेगा।
क्या होता है तर्पण
आपको बता दें कि तर्पण का अर्थ है पितरों को तृप्त करना, इस विधि में जल, तिल और कुश के साथ तर्पण किया जाता है। इसे करने से पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
तर्पण की सरल विधि
सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्रों को धारण करें। इसके बाद तांबे के पात्र में साफ जल, काले तिल और कुछ चावल लें। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। अब हाथों में कुश की अंगूठी पहनें। दोनों हाथों की अंगुली में जल, तिल और चावल लेकर तीन बार मंत्र “ॐ पितृभ्य: नम:” का जाप करें। अब धीरे धीरे अंगुली का जल भूमि पर गिराएं और पितरों का ध्यान करें। इस दौरान अपने गोत्र और पितरों के नाम लेकर तर्पण करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

