Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर देता है। श्राद्ध शब्द का अर्थ है “श्रद्धा से किया गया कार्य” और पितरों की तृप्ति के लिए की जाने वाली पूजा प्रक्रिया को श्राद्ध कहा जाता है। तर्पण और पिंडदान इसके मुख्य अंग हैं, जिनके माध्यम से पितरों को जल, तिल और अन्न अर्पित किया जाता है। इस बार पितृ पक्ष 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा से आरंभ होकर 21 सितंबर को आश्विन अमावस्या पर समाप्त होगा।
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श्राद्ध की तिथियां

पितृ पक्ष में श्राद्ध का आयोजन व्यक्ति के पितरों की मृत्यु तिथि के अनुसार किया जाता है। अगर तिथि ज्ञात न हो तो सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध किया जाता है।
7 सितंबर – पूर्णिमा श्राद्ध
8 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध
9 सितंबर – द्वितीया श्राद्ध
10 सितंबर – तृतीया और चतुर्थी श्राद्ध
11 सितंबर – पंचमी श्राद्ध
12 सितंबर – षष्ठी श्राद्ध
13 सितंबर – सप्तमी श्राद्ध
14 सितंबर – अष्टमी श्राद्ध
15 सितंबर – नवमी श्राद्ध
16 सितंबर – दशमी श्राद्ध
17 सितंबर – एकादशी श्राद्ध
18 सितंबर – द्वादशी श्राद्ध
19 सितंबर – त्रयोदशी श्राद्ध
20 सितंबर – चतुर्दशी श्राद्ध
21 सितंबर – सर्वपितृ अमावस्या
22 सितंबर – मातामह (नाना-नानी) श्राद्ध
तीन प्रमुख ऋण और पितृ ऋण का महत्व
हिंदू धर्म में तीन ऋणों का उल्लेख है देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। पितृ ऋण को श्राद्ध और तर्पण के माध्यम से चुकाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों की आत्मा पितृ पक्ष में पृथ्वी पर आती है और अपने वंशजों से तर्पण और पिंडदान की आशा रखती है। अगर यह कर्म न किया जाए, तो वे अतृप्त रहकर अशुभ प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे जीवन में बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
इन 10 वस्तुओं का करें दान
पितृ पक्ष में विशेष वस्तुओं का दान करना न केवल पितरों की आत्मा को संतुष्ट करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
गाय का दान – सर्वश्रेष्ठ दान माना जाता है, सुख-समृद्धि में वृद्धि करता है।
तिल का दान – काले तिल विपत्तियों से रक्षा करते हैं और पितरों को तृप्त करते हैं।
घी का दान – खासकर गाय का घी परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी होता है।
अनाज का दान – गेहूं, चावल या अन्य अन्न का दान करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
भूमि दान – संपत्ति और संतान सुख देता है, न हो सके तो मिट्टी का प्रतीकात्मक दान करें।
वस्त्रों का दान – नए और स्वच्छ वस्त्र (धोती-दुपट्टा) देने से पितर प्रसन्न होते हैं।
सोने का दान – कलह का नाश करता है, संभव न हो तो धन दान करें।
चांदी का दान – पितरों की संतुष्टि और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए प्रभावी है।
गुड़ का दान – दरिद्रता और कलह का नाश कर धन-सुख प्रदान करता है।
नमक का दान – पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान भी शुभ फलदायक होता है।

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