PM Modi China Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (30 अगस्त 2025) को शांगहाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी, जो हाल ही में जापान की अपनी यात्रा से लौटे हैं, अब तियानजिन शहर में एससीओ सम्मेलन के लिए चीन में उपस्थित हुए हैं। यह शिखर सम्मेलन भारत और चीन के संबंधों को लेकर अहम चर्चा का मंच बनेगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी 1 सितंबर तक चीन में रहेंगे और सम्मेलन में भाग लेंगे।
चीन पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत
चीन में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत एक बड़े आयोजन के रूप में किया गया। तियानजिन में प्रधानमंत्री मोदी को रेड कारपेट पर भव्य स्वागत किया गया, जहां उन्हें चीनी अधिकारियों द्वारा सम्मानित किया गया। यह स्वागत भारत और चीन के बीच संबंधों की गर्मजोशी को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और संवाद को लेकर दोनों पक्ष सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ताएं भी निर्धारित की गई हैं।
द्विपक्षीय वार्ता में शी जिनपिंग और पुतिन से महत्वपूर्ण चर्चाएं
एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इन वार्ताओं में प्रधानमंत्री मोदी और दोनों नेताओं के बीच विभिन्न मुद्दों पर बातचीत होगी, जिनमें भारत-चीन संबंधों के साथ-साथ वैश्विक राजनीति, व्यापारिक समझौते, और क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति भी शामिल है। विशेष रूप से, मोदी और शी जिनपिंग के बीच चर्चा का केंद्र दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाने और मजबूती देने के प्रयासों पर होगा। दोनों देशों के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल किए जा सकते हैं।
भारत-चीन संबंधों की दिशा और सम्मेलन की अहमियत
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ होने वाली बैठक में भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और सामान्य बनाने के उपायों पर गहन विचार-विमर्श होने की संभावना है। दोनों देशों के बीच हाल के वर्षों में सीमा विवाद और अन्य मुद्दों पर तनाव बढ़ा है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है। इस वार्ता में व्यापारिक साझेदारी, सीमा विवादों का समाधान और दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के रास्ते तलाशे जा सकते हैं।
स्मारकीय शिखर सम्मेलन और क्षेत्रीय महत्व
एससीओ शिखर सम्मेलन का महत्व केवल भारत और चीन के रिश्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा संदर्भ में भी अहम है। शिखर सम्मेलन में कई प्रमुख देश शामिल होंगे, जो सामूहिक रूप से एशिया और यूरोप में सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा और एससीओ सम्मेलन में भाग लेना भारत के वैश्विक कूटनीतिक प्रयासों को मजबूती प्रदान करेगा, जिससे भारत को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति और भूमिका को और सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
