PM Modi Mahakumbh Snan: दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, दोनों प्रमुख दल आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने-अपने मतदाताओं को हर हाल में बूथ तक पहुंचाने के प्रयासों में जुटे हैं। वहीं, दूसरी ओर, दिल्ली चुनाव से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का महाकुंभ में संगम स्नान भी चर्चा का विषय बना हुआ है। पीएम मोदी ने महाकुंभ में डुबकी लगाई है और इसे एक चुनावी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का मानना है कि पीएम मोदी ने 5 फरवरी का दिन जानबूझकर इस उद्देश्य से चुना ताकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोटर्स पर असर डाला जा सके। बीजेपी को चुनावों में जीत दिलाने के लिए पीएम मोदी की यह रणनीति अब तक कई बार सफल रही है।
पूर्व में पीएम मोदी की आध्यात्मिक यात्राएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi)का वोटिंग के दिन आध्यात्मिक यात्रा पर जाना कोई नई बात नहीं है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी 11 बार ऐसे यात्राओं का हिस्सा बने हैं, जिनमें 2 बार लोकसभा चुनाव और 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। इन चुनावों में बीजेपी को हर बार फायदा हुआ। उदाहरण के तौर पर, 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी केदारनाथ मंदिर में ध्यान कर रहे थे, और इस दिन देशभर में 8 राज्यों में वोटिंग हो रही थी। इसी प्रकार, 2024 में मोदी कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में साधना कर रहे थे, जबकि हरियाणा में वोटिंग हो रही थी। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि पीएम मोदी की आध्यात्मिक यात्रा का चुनावों पर गहरा असर पड़ा है।
कुंभ स्नान का राजनीतिक दृष्टिकोण

वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी (PM Modi) के कुंभ स्नान से दिल्ली चुनाव पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, बीजेपी के कोर वोटर्स के बीच यह और भी विश्वास जगा सकता है, लेकिन यह कहना अतिशयोक्ति होगी कि इससे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वोटर्स पर प्रभाव पड़ेगा। वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा का कहना है कि मोदी का संगम स्नान बीजेपी के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि इससे दिल्ली चुनाव में बड़ा बदलाव होगा। विपक्षी दलों का विरोध भी इस वजह से है कि वे अल्पसंख्यक वोटर्स को आकर्षित करने के लिए यह मुद्दा उठा रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल और सॉफ्ट हिंदुत्व

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी हिंदू धर्म के प्रति समर्थन और उनकी धार्मिक गतिविधियाँ बढ़ी हैं। उन्होंने कई बार हनुमान मंदिर की यात्रा की है, राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या गए, और दिल्ली के नागरिकों को मुफ्त तीर्थ यात्रा कराने का ऐलान किया है। इस तरह के कार्यों को उनके ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ के रूप में देखा जा रहा है। यदि कुंभ स्नान से वोटों में बढ़त की संभावना होती, तो अन्य दल भी इसे अपनी रणनीति में शामिल करते।
संगम स्नान और चुनावी परिणाम

राजनीतिक विश्लेषक सौरभ दुबे का कहना है कि मोदी के महाकुंभ स्नान से दिल्ली चुनाव पर कोई खास असर नहीं होगा। हां, बीजेपी के कोर वोटर्स की मोदी के प्रति भक्ति भावना जरूर और बढ़ेगी। लेकिन यह कहना गलत होगा कि इससे पार्टी को जीत मिल जाएगी। चुनावी निर्णय पहले से ही तय होते हैं, और मोदी का कुंभ स्नान केवल कुछ मतदाताओं को प्रभावित करेगा। यही नहीं, इसने विपक्षी दलों को और नाराज किया है।
संगम स्नान से अधिक की उम्मीद करना बेमानी
आखिरकार, यह कहना कि पीएम मोदी का कुंभ स्नान दिल्ली चुनावों को प्रभावित करेगा, यह अतिशयोक्ति होगी। यह केवल एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिसका चुनावी परिणाम पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा। जनता अपने निर्णय पर पहले से ही कायम रहती है, और यह रणनीति मोदी को अपने समर्थकों के बीच और लोकप्रिय बना सकती है, लेकिन विरोधियों को नाराज करने का खतरा भी उठाती है।
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