Netaji Anita Request: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों दो दिवसीय जापान दौरे पर हैं। इस अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस पाफ ने एक बार फिर नेताजी के पार्थिव अवशेष भारत वापस लाने की मांग दोहराई है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है कि जैसे पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने यह पहल की थी, उसी तरह मौजूदा सरकार को भी यह ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए।
अनीता बोस फाफ का भावुक बयान
मोदी की जापान यात्रा के दौरा अनीता ने एक साक्षात्कार में कहा “अगर मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से मिलती, तो मैं उनसे जापान से नेताजी के पार्थिव शरीर वापस लाने का अनुरोध करती। नरसिम्हा राव की सरकार ने यह पहल की थी। मोदी सरकार को भी यह कदम उठाना चाहिए।” 82 वर्षीय अनीता के शब्दों में “मैं चाहती हूँ कि नेताजी के पार्थिव शरीर जल्द से जल्द भारत लौट आएँ। मेरी उम्र को देखते हुए यह अनुरोध किया जा रहा है। इस पूरे मामले को यहीं खत्म होने दें।”
रेंकोजी मंदिर में संरक्षित हैं अवशेष
अनीता के अनुसार उनके पिता एकजननायक थे। इसलिए, अनीता व्यक्तिगत रूप से रेंकोजी मंदिर से पार्थिव शरीर भारत नहीं ला सकतीं। हालाँकि अनीता ने कहा कि जापान ने हमेशा नेताजी के प्रति गहरा सम्मान और आदर दिखाया है। हालाँकि यह पहली बार नहीं है। नेताजी की बेटी पहले भी कई बार अपने पिता के पार्थिव शरीर को भारत वापस लाने का मुद्दा उठा चुकी हैं। उनके अनुसार “नेताजी को स्वतंत्र भारत लौटने का सौभाग्य नहीं मिला। लेकिन आज भी भारत में कई लोग नेताजी को सम्मान के साथ याद करते हैं। इस महान नायक के पार्थिव शरीर को भारत वापस लाया जाना चाहिए।”
18 अगस्त 1945 एक अनुत्तरित अध्याय
गौरतलब है कि 9 अगस्त, 1945 को जापान के नागासाकी में हुए परमाणु विस्फोट के बाद भी नेताजी ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष जारी रखने की योजना बनाई थी। लेकिन कुछ दिनों बाद पता चला कि 18 अगस्त को जापान के ताइहोकू एयरबेस पर एक विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हो गई थी। लेकिन भारत में कई लोगों ने विभिन्न कारणों से उस जानकारी का खंडन किया। तब से, नेताजी के पार्थिव शरीर रेंकोजी मंदिर में संरक्षित हैं। प्रधानमंत्री मोदी की जापान यात्रा के दौरान अनीता बोस पाफ की यह भावुक अपील एक बार फिर नेताजी की विरासत और उनके प्रति देश के कर्तव्यों को याद दिलाती है। यह देखना अब शेष है कि क्या मोदी सरकार इस ऐतिहासिक मांग पर कदम उठाएगी और नेताजी को उनके देश की मिट्टी में सम्मानपूर्वक विदा देगी।
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