Kejriwal on PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को “करीबी दोस्त” बताए जाने और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर उत्सुकता जताने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीखा हमला बोला है। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक ने केंद्र सरकार पर अमेरिका के सामने आत्मसमर्पण करने का आरोप लगाया और इसे देश के किसानों, व्यापारियों और युवाओं के हितों के खिलाफ बताया।
क्या है मामला?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा “मुझे यह ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी है। मैं अपने अच्छे दोस्त प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत के लिए उत्सुक हूं।” इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा “भारत और अमेरिका करीबी दोस्त और स्वाभाविक साझेदार हैं। व्यापार वार्ता से द्विपक्षीय संबंधों की असीम संभावनाएं खुलेंगी। मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए उत्सुक हूं।”
अरविंद केजरीवाल का तीखा प्रहार
पीएम मोदी की इस प्रतिक्रिया पर अरविंद केजरीवाल ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर सवाल उठाया:”ट्रंप को खुश करने के लिए देश भर के कपास किसानों को दांव पर लगा दिया गया है। भारतीय बाजार को अमेरिकियों के लिए पूरी तरह खोलने से हमारे किसानों, व्यापारियों और युवाओं के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है। ट्रंप के सामने ऐसा सरेंडर न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए घातक है, बल्कि यह 140 करोड़ भारतीयों का अपमान भी है।” उन्होंने आगे लिखा “देश को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री कमजोर नहीं पड़ेंगे और देश के मान की रक्षा करेंगे।”
व्यापार वार्ता पर चिंता
केजरीवाल के बयान का केंद्र बिंदु यह है कि यदि अमेरिका को भारतीय बाजार में अत्यधिक पहुंच दी गई, तो इससे स्थानीय उद्योगों को नुकसान हो सकता है। उनके अनुसार, कपास जैसे भारतीय कृषि उत्पादों पर अमेरिकी दबाव बढ़ेगा, जिससे भारतीय किसानों को घाटा झेलना पड़ सकता है।
राजनीतिक माहौल गरम
2024 के आम चुनावों के बाद राजनीतिक तापमान पहले से ही बढ़ा हुआ है। ऐसे में विदेश नीति और व्यापार को लेकर सरकार की रणनीति विपक्ष के निशाने पर है। केजरीवाल का यह बयान साफ संकेत देता है कि आर्थिक राष्ट्रवाद एक बार फिर विपक्ष की प्रमुख रणनीति बनने जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका से करीबी को लेकर बयानबाजी ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। जहां सरकार इसे रणनीतिक साझेदारी और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करार दे रहा है। आने वाले दिनों में भारत-अमेरिका संबंधों पर यह बहस और तेज हो सकती है।
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