Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह ने राजनीतिक सलाहकार से सीधे चुनावी मैदान में उतरे प्रशांत किशोर की तारीफ की है। प्रशांत किशोर ने अब तक कई राजनीतिक पार्टियों को चुनाव जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इस बार उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी ‘जन सूरज पार्टी’ बनाकर चुनावी सरगर्मी शुरू कर दी है। खुद वे चुनावी उम्मीदवार नहीं हैं, लेकिन कई सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं और बिहार के ज्वलंत मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है। इस बात को हरिवंश ने भी सराहा है, जिससे राजनीतिक गलियारों में भाजपा की साजिश के सवाल उठने लगे हैं।
हरिवंश की प्रशंसा और राजनीति की गुत्थी
शनिवार को एक इंटरव्यू में हरिवंश ने कहा कि प्रशांत किशोर ने उन मुद्दों को जनता के सामने रखा है जिन्हें मुख्यधारा की पार्टियां लंबे समय से टालती आ रही थीं। उनका मानना है कि यह बात मतदाताओं के मन पर असर डालेगी और चुनाव परिणामों में दिखेगी। हरिवंश का यह भी कहना था कि पहले बिहार में लेफ्ट पार्टियां मजबूत थीं लेकिन उनका प्रभाव सरकार पर नहीं दिखा था। अब ‘जन सूरज पार्टी’ उन्हीं लेफ्ट पार्टियों के कार्य को आगे बढ़ा रही है।
हालांकि हरिवंश खुद जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता हैं, लेकिन वे कुछ हद तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दूरी बनाए हुए हैं। सियासी जानकारों की मानें तो हरिवंश की यह प्रशंसा भाजपा के इशारे पर हो सकती है। क्योंकि हरिवंश जेडीयू के समाजवादी धड़े के नेता हैं, और उनकी बातों से जन सूरज पार्टी को राजनीतिक लाभ हो सकता है। इसका नतीजा यह हो सकता है कि नीतीश कुमार की JDU कमजोर हो और सत्ता में उनकी पकड़ ढीली पड़े।
क्या BJP का खेल है मुख्यमंत्री पद पर कब्ज़ा?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा अपनी ही सहयोगी JDU को कमजोर कर खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी हथियाने की कोशिश कर रही है। हरिवंश की ओर से प्रशांत किशोर की खुलेआम तारीफ इस रणनीति का हिस्सा लगती है। भाजपा का मकसद हो सकता है कि JDU और उसकी नेतृत्व क्षमता को जनता के सामने सवालों के घेरे में लाया जाए ताकि भाजपा को अधिक फायदा मिल सके।
जन सूरज पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता और प्रशांत किशोर का राजनीतिक मंच बनाने का मतलब यह भी हो सकता है कि बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनें। भाजपा की योजना हो सकती है कि JDU को कमजोर कर राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करे। खासतौर पर ऐसे समय में जब बिहार में राजनीतिक स्थिरता की जरूरत है, भाजपा द्वारा सहयोगी के खिलाफ यह रणनीति राजनीतिक अस्थिरता भी पैदा कर सकती है।
राज्यसभा डिप्टी चेयरमैन हरिवंश की प्रशांत किशोर की तारीफ ने बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक सियासी माहौल को गरमा दिया है। जहां प्रशांत किशोर ने बिहार के जमीनी मुद्दों को उठाकर एक नई राजनीतिक बहस छेड़ी है, वहीं भाजपा की कथित मंशा इस बहस का फायदा उठाकर JDU को कमजोर करने की भी लग रही है। आने वाले चुनावों में यह देखना होगा कि जनता किस पर भरोसा जताती है और क्या भाजपा की यह चाल कारगर साबित होती है।
Read More : Ayodhya Deepotsav 2025: सरयू घाट पर 26 लाख दीयों की रौशनी में प्रभु श्रीराम का स्वागत, सीएम योगी ने खींचा रथ
