JP Jayanti: आज महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी विचारक लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल देखने को मिली। 11 अक्टूबर 1902 को जन्मे जेपी नारायण ने अपने जीवन को जनता, गरीबों और समाज के उत्थान के लिए समर्पित किया था। उनके इन्हीं जनहितैषी कार्यों के चलते उन्हें ‘लोकनायक’ की उपाधि मिली।
जेपी की जयंती हर साल सियासी गर्मी लेकर आती है। जेपी सेंटर (JPNIC), जो लखनऊ में स्थित है, वहां समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच राजनीतिक टकराव आम बात हो गई है। इस वर्ष भी स्थिति कुछ अलग नहीं रही। बीती रात से ही जेपी सेंटर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। गेट और आसपास बेरिकेडिंग लगाकर प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने की तैयारी की थी।
सुरक्षा के बावजूद सपा कार्यकर्ताओं की मौजूदगी
सख्त सुरक्षा के बावजूद समाजवादी पार्टी की छात्र सभा के दो कार्यकर्ता जेपी की मूर्ति तक पहुंचने में सफल रहे और उन्होंने वहां माल्यार्पण किया। इसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इन दोनों नौजवानों को बधाई दी। उन्होंने कहा “जो हमें करना था, वह काम उन्होंने किया। हर बार की तरह पुलिस पीछे रह जाती है, इस बार भी पीछे रह गई।”
जेपी की विरासत पर बीजेपी को घेरा
जेपी जयंती के मौके पर अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि जेपी की स्मृति में बनी जेपी इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) की हालत खराब कर दी गई है। “यह सबसे खूबसूरत बिल्डिंग थी। भाजपा चाहे जितना छुपाए, हम इसे बिकने नहीं देंगे। JPNIC हमारे लिए सिर्फ इमारत नहीं, एक राजनीतिक भावना का प्रतीक है। सरकार ने इसकी दुर्दशा की है ”अखिलेश यादव ने आगे कहा कि समाजवादियों को जो विरासत मिली है, उसे वे आगे बढ़ाएंगे और बीजेपी के ‘विकास विरोधी’ रवैये का विरोध करते रहेंगे।
सोशल मीडिया अकाउंट सस्पेंशन पर सवाल
अखिलेश यादव ने इस मौके पर अपना सोशल मीडिया अकाउंट सस्पेंड किए जाने पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में हो रही एडल्ट सेक्सुअल वॉयलेंस की घटनाओं पर पोस्ट की थी, जिसके बाद उनका अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया।”मैंने केवल सच दिखाने की कोशिश की थी, इसमें गलत क्या है?” – उन्होंने सवाल उठाया।
जेपी की जयंती: सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, सियासत का मंच
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर जहां एक ओर देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, वहीं उत्तर प्रदेश की राजनीति में इसे लेकर टकराव और आरोप-प्रत्यारोप भी जारी हैं। जेपी की विचारधारा और विरासत को किस पार्टी ने सही मायनों में अपनाया है, यह बहस अब केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि वर्तमान सियासत का अहम हिस्सा बन चुकी है।

