Prime Chaupal: केंद्र हो या राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में गांव के लोगों के लिए योजनाएं लाती है उन योजनाओं को लागू करने के लिए पैसे भी आवंटित करती है लेकिन वो पैसा सरकार और जनता के बीच कहां विलीन हो जाता है उसका कोई पता ठिकाना नहीं है।भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार से उम्मीद लगाए बैठे गांवों की जब हालत देखी तो हालत खस्ता ही नजर आती है।जहां लोगों को न तो पीएम योजना का लाभ मिल रहा है और ना ही सीएम योजना का।ऐसे में हम हमारे खास प्रोग्राम प्राइम चौपाल के तहत मलिहाबाद ब्लाक के ग्राम पंचायत हमिरापुर में ग्रामीण विकास का जायजा लेने पहुंचे।देखिए यह रिपोर्ट….
सड़क पर गड्ढे या गड्ढों में है सड़क?

एक तरफ जहां सरकार विकास के नए आयामों के कशीदे पढ़ती है और डंके की चोट पर संसद में यह ऐलान करती है कि,उन्होंने देश की 25 करोड़ गरीब जनता को गरीबी से बाहर निकाला है।वहीं दूसरी तरफ अगर असलियत देखें तो गांवों की जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है।उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कदम रखने पर हालात बद से बदतर नजर आते हैं जहां स्वच्छता के नाम पर कूड़े-कचरे से भरी पड़ी नालियां जगह-जगह गंदगी का अंबार सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढों पर सड़क यह सवाल खुद में रहस्य है।इसके साथ ही गांव में आज भी सरकारी सुविधाओं के लिए तरसते लोग हैं और गांव की हालत इतनी पस्त है कि,प्रधान जी के पास ग्रामीणों की समस्याओं का निपटारा करने का समय ही नहीं है।
हमिरापुर में किसकी जेब भर रही सरकारी धनराशि ?

यूं तो केंद्र और राज्य सरकार ग्रामीणों के स्वास्थ्य को लेकर सजग नजर आ रही है।गांवों की प्यास बुझाने के लिए सरकार अमृत सरोवर योजन लेकर आई जिससे गांवों का सौंदरीकरण भी होना था और जानवरों की प्यास भी बुझानी थी लेकिन हमिरापुर जिसके लिए एक बड़ी धनराशि ग्राम पंचायत में भेजी जा रही है लेकिन इस राशि का लाभ किसको मिला यह किसी को नहीं मालूम सरकार की इस योजना पर अब ताला लटकता नजर आ रहा है।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि,क्या गांव हमारे देश का हिस्सा नहीं हैं क्या यहां रहने वाले लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए सरकार का मुंह ताकेंगे कौन इस गांव के जिम्मादारों से सवाल करेगा कि,जो पैसा विकास के लिए दिया गया उसका क्या हुआ?
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