Pradosh Vrat 2025 : हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि भगवान शिव की साधना आराधना को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है।
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर आषाढ़ का आखिरी और जुलाई महीने का पहला प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं मान्यता है कि प्रदोष के दिन व्रत करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख समृद्धि का प्रवेश होता है, तो हम आपको जुलाई के पहले प्रदोष व्रत की तारीख बता रहे हैं।
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प्रदोष व्रत की तारीख और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 जुलाई को रात 11 बजकर 11 मिनट से आरंभ हो रही है जो कि 8 जुलाई की रात 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि 8 जुलाई को होगी इसलिए 8 जुलाई दिन मंगलवार को ही प्रदोष व्रत किया जाएगा। मंगलवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण ही इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है। इस दिन ज्येष्ठा उपरांत मूल नक्षत्र का संयोग रहेगा। इसके साथ ही शुक्ल योग का निर्माण भी होगा।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
आषाढ़ प्रदोष व्रत की पूजा विधि विधान से करना शुभ माना जाता है। ऐसे में प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करें। फिर शिव का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। इसके बाद घर के मंदिर में शिव पार्वती की विधि विधान से पूजा करें।
भगवान को स्नान कराएं। गंगाजल से अभिषेक करें, रोली, चंदन लगाएं साथ ही धूप दीपक, नैवेद्य अर्पित करें। पुष्प और भोग अर्पित करें। बाद में शिव मंत्रों का जाप कर व्रत कथा का पाठ करें। इस दिन भगवान शिव और पार्वती जी की आरती करें। पूजा के दौरान अनजाने में होने वाली भूल चूक के लिए भगवान से क्षमा जरूर मांग लें, और सभी को प्रसाद का वितरण करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है।प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

