Pragya Thakur Statement: भाजपा की फायरब्रांड नेता और पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने ‘लव जिहाद’ और बेटियों के पालन-पोषण को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसने राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में बहस छेड़ दी है।
भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, “अगर लड़की माता-पिता की बात नहीं मानती और किसी दूसरे धर्म के युवक के पास जाने की कोशिश करती है, तो उसे रोकने के लिए सख्ती जरूरी है। अगर आवश्यक हो, तो उसकी टांगें तोड़ दो, ताकि उसका भविष्य सुरक्षित रहे।”
पारिवारिक नियंत्रण पर जोर
प्रज्ञा ठाकुर का कहना था कि माता-पिता को बेटियों की परवरिश में अधिक सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आजकल की लड़कियां जल्दी स्वतंत्रता चाहती हैं और कई बार गलत फैसले ले लेती हैं। “अगर बेटी को सही राह दिखाने के लिए डांटना या पीटना भी पड़े, तो पीछे मत हटो,” उन्होंने मंच से कहा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
साध्वी प्रज्ञा के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कई लोगों ने इसे महिला अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है। ट्विटर, फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर लोग इस बयान को ‘पितृसत्तात्मक सोच’ और ‘कानून की अवहेलना’ करार दे रहे हैं।
महिला संगठनों ने की कड़ी आलोचना
देशभर के महिला अधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस बयान की तीव्र निंदा की है। उनका कहना है कि किसी भी लड़की को उसके निर्णय के लिए हिंसा या धमकी से रोकना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि नैतिक रूप से भी अनुचित है। दिल्ली महिला आयोग की एक सदस्य ने बयान दिया, “ऐसे विचार हमारे समाज को पीछे की ओर ले जाते हैं।”
समर्थकों का तर्क: “संस्कारों की रक्षा”
वहीं, साध्वी प्रज्ञा के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने पारिवारिक मूल्यों और समाज में बिगड़ते माहौल को लेकर चिंता जताई है। उनके मुताबिक, ‘लव जिहाद’ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए परिवारों को सजग रहना चाहिए और बच्चों को सही दिशा दिखाना ही माता-पिता की जिम्मेदारी है।
चुनावी मौसम में बयान का असर?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रज्ञा ठाकुर का यह बयान न केवल सामाजिक स्तर पर बल्कि आगामी चुनावों में भी प्रभाव डाल सकता है। इससे भाजपा के कट्टरपंथी समर्थकों में उत्साह देखा जा रहा है, वहीं विपक्ष इसे नफरत फैलाने वाला एजेंडा बता रहा है।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का यह बयान एक बार फिर ‘लव जिहाद’, महिला स्वतंत्रता और पारिवारिक नियंत्रण जैसे संवेदनशील मुद्दों को केंद्र में ले आया है। जहां एक ओर यह बयान समाज में वैचारिक टकराव पैदा कर रहा है, वहीं यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या किसी भी वैचारिक असहमति का जवाब हिंसा हो सकता है?
