Pran Pratishtha Part 2: लंबी चर्चा और विचार विमर्श के बाद 5 जून प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त तय किया गया है। यह तिथि सामान्य नहीं है बल्किा इसका धार्मिक और पौराणिक महत्व भी विशेष है। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गुरु पूर्णा सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
इसी दिन सतयुग में माता गंगा का अवतरण हुआ था इसके अलावा त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने श्रीरामेश्वर महादेव की स्थापना की और द्वापर युग में इस दिन गायत्री जयंती मनाई जाती है। वही कलियुग में इस पावन दिन पर श्रीराम मंदिर परिसर के पूरक मंदिरों में देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाएगा।

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विशेष योग में पूजन और प्राण प्रतिष्ठा
आपको बता दें कि 5 जून को होने वाले भव्य आयोजन की शुरुआत सुबह 6 बजकर 30 मिनट से हो जाएगी और पूजन 11 बजकर 20 मिनट तक चलेगा। इसके बाद 11 बजकर 25 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया जाएगा।
इस दौरान गुरु पूर्णा सिद्ध योग रहेगा जो देर रात 3 बजकर 13 मिनट तक प्रभावी रहेगा, वहीं रवि योग दिनभर बना रहेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार यह योग किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए अत्यंत उत्तम होता है। इस दिन दीप प्रवाह का भी विशेष महत्व होता है, जब पुण्य सलिता सरयू नदी को सहस्त्र दीपों से आलोकित किया जाएगा।
300 से ज्यादा आचार्य होंगे शामिल
इस भव्य प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में अयोध्या की विशेष भूमिका होगी। इस बार आयोजन में कुल मिलाकर 120 वैदिक आचार्य शामिल होंगे, जिनमें से 100 अयोध्या के होंगे। यह पहली बार है जब इतनी संख्या में रामनगरी के आचार्य राम मंदिर के किसी अनुष्ठान में शामिल होंगे।
बता दें कि इस समारोह का प्रमुख नेतृत्व वाराणसी के आचार्य करेंगे। वहीं इससे पहले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में देशभर से 300 से ज्यादा आचार्य शामिल हुए थे, मगर अयोध्या के आचार्यों की संख्या कम थी। इस आयोजन के लिए शुभ मुहूर्त अयोध्या के प्रसिद्ध आचार्य ने निर्देशन में निकाला गया है।

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