Praniti Shinde on Operation Sindoor: 28 जुलाई को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने ऐसा बयान दे दिया जिससे नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. प्रणीति ने इस सैन्य कार्रवाई को एक “मीडिया शो” करार दिया और सवाल उठाया कि इस ऑपरेशन में कितने आतंकवादी जिंदा पकड़े गए. उन्होंने केंद्र सरकार से इस पर स्पष्ट जवाब भी मांगा.
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‘सफल ऑपरेशन नहीं, एक तमाशा था’ – प्रणीति शिंदे
दरअसल, ये विवाद तब शुरु हुआ जब, प्रणीति शिंदे ने लोकसभा में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर को सफल सैन्य मिशन के बजाय मीडिया में दिखाया गया तमाशा कहा जा सकता है.” उनके इस बयान के बाद संसद में कुछ देर के लिए माहौल गर्म हो गया. विपक्षी नेताओं ने जहां उनका समर्थन किया, वहीं सत्ता पक्ष ने इसे “सेना का अपमान” बताया.
पहलगाम मुठभेड़ के बीच आया विवादास्पद बयान
आपको बताते चले कि, प्रणीति के बयान के कुछ ही घंटों बाद, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े तीन आतंकियों का एनकाउंटर कर दिया गया. इसके बाद से यह मुद्दा और ज्यादा संवेदनशील बन गया है. सोशल मीडिया पर भी इस बयान को लेकर पक्ष-विपक्ष में बहस छिड़ गई है.
कौन हैं प्रणीति शिंदे? जानिए उनका राजनीतिक सफर
बताते चले कि प्रणीति शिंदे, पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी हैं. उनका जन्म 9 दिसंबर 1980 को हुआ था. वे महाराष्ट्र कांग्रेस की प्रमुख महिला नेताओं में शुमार की जाती हैं और सोलापुर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद हैं. इससे पहले वे तीन बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनी जा चुकी हैं.
शिक्षा और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय
प्रणीति ने मुंबई से स्नातक की पढ़ाई की है और वे एक NGO भी चलाती हैं, जिसके जरिए वे जरूरतमंदों की मदद करती हैं. वर्ष 2021 में उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की एग्जीक्यूटिव चेयरमैन भी नियुक्त किया गया था.
राहुल गांधी के साथ नाम जुड़ने पर भी रह चुकी हैं सुर्खियों में
प्रणीति शिंदे पहले भी सुर्खियों में आ चुकी हैं, जब सोशल मीडिया पर उनकी कुछ पुरानी तस्वीरें राहुल गांधी के साथ वायरल हुई थी. इसके बाद अटकलें लगाई गई थीं कि दोनों के बीच रिश्ता है और वे शादी करने वाले हैं. हालांकि, ये खबरें महज अफवाह निकलीं और कभी इसकी पुष्टि नहीं हुई.
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दिए गए बयान के बाद प्रणीति शिंदे फिर से चर्चाओं में हैं. जहां एक ओर उनके आलोचकों ने इसे देशविरोधी टिप्पणी बताया है, वहीं उनके समर्थक इसे सरकार से जवाबदेही की मांग मान रहे हैं. आने वाले समय में यह विवाद कांग्रेस की रणनीति और प्रणीति की छवि दोनों पर असर डाल सकता है.