Umar Ahmad Bail Rejected: अतीक अहमद के बेटे मोहम्मद उमर अहमद को प्रयागराज कोर्ट से बड़ा झटका, जमानत याचिका खारिज

अतीक अहमद के बेटे मोहम्मद उमर अहमद को प्रयागराज कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है, जिससे उनकी न्यायिक लड़ाई और कठिन होती जा रही है। इस फैसले से उनके खिलाफ चल रही जांच और मुकदमों पर असर पड़ेगा। मामला कानून और राजनीति के बीच जटिल स्थिति बनाता जा रहा है।

Chandan Das
Umar

Umar Ahmad Bail Rejected:  प्रयागराज की स्पेशल जज एससी/एसटी एक्ट कोर्ट ने लखनऊ जेल में बंद माफिया अतीक अहमद के बड़े बेटे मोहम्मद उमर अहमद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका उमेश पाल हत्याकांड मामले में दायर की गई थी, जिसमें उमर अहमद पर गंभीर आरोप हैं। कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए उमर को जमानत देने से साफ इनकार कर दिया है।

उमेश पाल हत्याकांड और उमर अहमद का नाम

24 फरवरी 2023 को प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र के जयंतीपुर इलाके में दिनदहाड़े हुई इस खूनी वारदात में उमेश पाल और उनके दो गनर की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड को लेकर जांच में पता चला कि लखनऊ जेल में बंद मोहम्मद उमर अहमद इस वारदात की साजिश में शामिल था। इसी आरोप के तहत उमर को आरोपी बनाया गया था।

जमानत के लिए किया गया दावा

मोहम्मद उमर ने जिला न्यायालय में जमानत की मांग की थी। उन्होंने खुद को इस मामले में निर्दोष बताया और दावा किया कि हत्याकांड के वक्त वह लखनऊ जेल में बंद था, इसलिए उसकी हत्या में कोई भूमिका नहीं हो सकती। उमर ने कोर्ट से जमानत मिलने की उम्मीद जताई थी ताकि वह अपने बचाव में खुलकर सामने आ सके।

कोर्ट का फैसला और वजह

हालांकि, प्रयागराज की स्पेशल जज एससी/एसटी एक्ट की कोर्ट ने उमर की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में अपराध की गंभीरता अत्यंत उच्च है। वारदात की जांच में उमर की भूमिका संदिग्ध पाई गई है और उसे जमानत देना न्याय के मानदंडों के खिलाफ होगा। जज राम प्रताप सिंह राणा की अदालत ने इस कारण उमर को जमानत देने से साफ मना कर दिया।

माफिया अतीक अहमद के परिवार पर बढ़ रहा दबाव

मोहम्मद उमर अहमद के खिलाफ इस तरह के आरोपों और उनकी जेल में बंदगी के कारण अतीक अहमद के परिवार पर भी कानून-व्यवस्था का दबाव बढ़ता जा रहा है। पुलिस और न्यायालय दोनों ही इस मामले में कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं ताकि अपराधी तत्वों को सजा मिले और कानून का शासन कायम रहे।

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