Premanand Ji Maharaj Holi: वृंदावन में संत प्रेमानंद जी महाराज ने खेली होली, श्रद्धालुओं को दिया आशीर्वाद

Aanchal Singh
Premanand Ji Maharaj
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Premanand Ji Maharaj Holi: हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला होली का पर्व इस वर्ष 14 मार्च, शुक्रवार को होगा। इस खास मौके पर वृंदावन में संत प्रेमानंद जी महाराज ने अपने आश्रम में होली का पर्व श्रद्धालुओं के साथ धूमधाम से मनाया। उन्होंने भक्तों पर गुलाल छिड़कते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया और पर्व की शुभकामनाएं दीं।

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वृंदावन में होली: कृष्ण-राधा के प्रेम का प्रतीक

वृंदावन में होली: कृष्ण-राधा के प्रेम का प्रतीक

बताते चले कि वृंदावन में होली का पर्व अन्य स्थानों की तुलना में विशेष उल्लास और हर्ष के साथ मनाया जाता है। यहाँ पर यह पर्व श्री कृष्ण और राधा के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ रंग खेलकर होली का शुभारंभ किया था। यही कारण है कि यहां होली का महत्व और उल्लास अधिक है। वृंदावन में इस दिन के आसपास होली उत्सव का आयोजन शुरू हो जाता है, जो भगवान कृष्ण की लीलाओं और उनकी भक्ति को दर्शाता है।

प्रेमानंद जी महाराज का संदेश

प्रेमानंद जी महाराज का संदेश

आपको बता दे कि, संत प्रेमानंद जी महाराज ने होली के इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं से कहा कि यह गुलाल कोई सामान्य रंग नहीं है, बल्कि यह गुरुदेव का रंग है। उन्होंने बताया कि जब हम भगवान और गुरु के साथ होली खेलते हैं तो उस रंग का कोई मुकाबला नहीं होता। महाराज ने कहा कि “भगवान का नाम जपते हुए और पवित्र आहार करते हुए हमें अपने मन को शुद्ध रखना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि जब हमने प्रियतम के साथ होली खेल ली है, तो अब हमें दूसरों के रंग से अपनी शुद्धता को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए।

धैर्य, संयम और भक्ति का महत्व

प्रेमानंद जी महाराज ने होली के अवसर पर एक महत्वपूर्ण उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि होली खेलते समय हमें धैर्य और संयम बनाए रखना चाहिए। उन्होंने नशे से बचने और भगवान के भोग को ग्रहण करने की सलाह दी। संत प्रेमानंद जी ने यह भी कहा कि होली का असली आनंद तब है जब हम गुरु के रंग में रंग जाएं और एकांत में भगवान की भक्ति में लीन हो जाएं।

समाप्ति पर संत प्रेमानंद जी ने भक्तों से की आशीर्वाद की अपील

समाप्ति पर संत प्रेमानंद जी ने भक्तों से की आशीर्वाद की अपील

वृंदावन में होली के इस उल्लासपूर्ण माहौल में संत प्रेमानंद जी ने श्रद्धालुओं से आशीर्वाद प्राप्त किया और उनका मार्गदर्शन किया। उन्होंने सबको संतुलित, शुद्ध और भक्तिपूर्वक जीवन जीने की प्रेरणा दी। इसके साथ ही प्रेमानंद जी महाराज ने यह संदेश भी दिया कि होली केवल रंगों का पर्व नहीं, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जब हम अपने दिलों में प्रेम और भक्ति की भावना को गहरा कर सकते हैं। इस प्रकार वृंदावन में होली का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भावनात्मक और मानसिक शांति की ओर भी मार्गदर्शन करता है।

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