PM Modi UNGA 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में शामिल नहीं होंगे। उनकी जगह भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर करेंगे। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है।
पीएम मोदी का UNGA से हटना और इसके कारण
संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी वक्ताओं की सूची में प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों के नाम शामिल थे। यह महासभा 23 से 29 सितंबर तक चलेगी, जिसमें दुनिया के कई प्रमुख नेता अपने-अपने देशों की तरफ से भाषण देंगे। भारत 27 सितंबर को महासभा में संबोधन करेगा, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री की जगह विदेश मंत्री एस. जयशंकर ही भाषण देंगे।
विश्लेषकों के अनुसार, पीएम मोदी के UNGA में शामिल न होने का यह फैसला भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते आर्थिक तनाव और राजनीतिक जटिलताओं का परिणाम हो सकता है। हाल ही में अमेरिका ने रूस से भारत की तेल खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया। इस फैसले के बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में खटास आई है।
भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद
फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी, जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण पर बातचीत करने की योजना बनाई थी। उस समय दोनों देशों के बीच रिश्ते सकारात्मक दिख रहे थे।
लेकिन ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर टैरिफ लगाने का कदम उठाया, जो भारत के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस निर्णय की कड़ी निंदा की है और इसे “गलत और बिना सोच-समझ के लिया गया फैसला” बताया। मंत्रालय ने कहा है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
UNGA का महत्व और वर्तमान वैश्विक संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र महासभा विश्व की सबसे महत्वपूर्ण कूटनीतिक बैठकों में से एक है, जहां वैश्विक मुद्दों पर बहस होती है। इस बार का सत्र विशेष रूप से इजरायल-हमास संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे संवेदनशील विषयों पर केंद्रित होगा। ऐसे समय में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा किया जाना इसे कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।
भारत की विदेश नीति में संतुलन
भारत ने हमेशा से अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखा है। चाहे वह रूस के साथ रणनीतिक संबंध हों या अमेरिका के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग, भारत अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के UNGA में प्रतिनिधित्व से यह संदेश भी मिलता है कि भारत कूटनीतिक संवाद जारी रखते हुए वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री मोदी का इस बार UNGA में न जाना भारत-अमेरिका संबंधों में फिलहाल खिंचाव की निशानी हो सकता है, लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर के नेतृत्व में भारत अपनी वैश्विक स्थिति मजबूत बनाए रखने का प्रयास करेगा। दोनों देशों के बीच आर्थिक तनाव के बावजूद कूटनीति के जरिए समाधान खोजने की कोशिशें जारी रहेंगी।
