Puri Rath Yatra Stampede: ओडिशा के पुरी में रविवार सुबह जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान एक दर्दनाक हादसा हो गया। गुंडिचा मंदिर के पास अचानक भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस हरकत में आ गई।
सुबह 4 से 5 बजे के बीच हुआ हादसा
जानकारी के मुताबिक यह भगदड़ सुबह करीब 4 से 5 बजे के बीच उस समय हुई जब भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’ गुंडिचा मंदिर पहुंचा। जैसे ही भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के तीनों रथ मंदिर के पास पहुंचे, भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए उमड़ पड़े। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए बैरिकेड अचानक गिर गए और भगदड़ की स्थिति बन गई। इसी अफरा-तफरी में कुछ श्रद्धालु रथ के पहियों के पास गिर गए, जिससे तीन लोगों की जान चली गई।
मृतकों की हुई पहचान, सभी ओडिशा के खोरधा जिले से
हादसे में जान गंवाने वालों की पहचान बसंती साहू (बोलागढ़), प्रेमकांति मोहंती और प्रभाति दास (अथांतारा गांव, बालीआंता ब्लॉक) के रूप में की गई है। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है और सभी घायलों को तुरंत उपचार दिलवाने की बात कही है।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ बना कारण, हजारों लोग बीमार
रथ यात्रा के पहले दिन शुक्रवार को ही 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पुरी में जुटे थे, जिससे लगातार भीड़ का दबाव बना रहा। शुक्रवार को देवी सुभद्रा के रथ के पास 625 श्रद्धालु बीमार हुए थे। शनिवार को भीड़ में थोड़ी कमी आई, लेकिन फिर भी पिछले 24 घंटे में 650 से अधिक लोग बीमार हो गए। इनमें से 70 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और नौ की हालत गंभीर बनी हुई है।
गुंडिचा मंदिर पहुंचे तीनों रथ, नौ दिन यहीं रुकेंगे भगवान
भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ शनिवार को गुंडिचा मंदिर पहुंच गए हैं। यह मंदिर श्रीमंदिर से 2.6 किलोमीटर दूर स्थित है और इसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है, जहां वे हर साल नौ दिन तक ठहरते हैं।शुक्रवार को रथ यात्रा की शुरुआत परंपरागत तरीके से हुई। सबसे पहले शाम 4:08 बजे भगवान बलभद्र के ‘तालध्वज’ रथ ने यात्रा शुरू की, उसके बाद देवी सुभद्रा का ‘दर्पदलन’ और फिर भगवान जगन्नाथ का ‘नंदिघोष’ रथ निकाला गया। पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देब ने छेरा पहंरा की रस्म निभाई और रथों की सफाई की।
अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था, AI कैमरों और ड्रोन से निगरानी
आपको बता दे कि, पुरी शहर को इस अवसर पर किले में तब्दील कर दिया गया है। करीब 15 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए 10,000 पुलिसकर्मी, AI-सक्षम कैमरे और ड्रोन की मदद से सुरक्षा और निगरानी की व्यवस्था की गई है। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को सहायता और घायलों को बेहतर इलाज का भरोसा दिलाया है। रथ यात्रा का यह पावन पर्व जहां श्रद्धा और उत्सव का प्रतीक है, वहीं भगदड़ जैसी घटनाएं सुरक्षा तैयारियों पर सवाल खड़े करती हैं। प्रशासन को चाहिए कि आगे के दिनों में और अधिक सतर्कता बरती जाए ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।