Putin India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बीते गुरुवार और शुक्रवार को भारत के दो दिवसीय दौरे पर रहे। इस यात्रा ने वैश्विक राजनीति में नई चर्चा छेड़ दी है। भारत और रूस के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी, जिससे दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होती दिखी। वहीं, इस दौरे के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी की खबरें भी सामने आईं, जिसे लेकर कूटनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है।
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विदेश मंत्री जयशंकर का स्पष्ट संदेश
बताते चले कि, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि किसी भी देश को भारत के विदेशी संबंधों पर वीटो लगाने का अधिकार नहीं है। एक समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों को सीधा संकेत दिया कि भारत अपनी विदेश नीति स्वतंत्र रूप से तय करता है। उनका यह बयान पुतिन के दौरे से उत्पन्न संभावित अमेरिकी असंतोष को लेकर एक कूटनीतिक प्रतिक्रिया माना जा रहा है।
पश्चिम की राय पर निर्भर नहीं होगा भारत — जयशंकर
आपको बताते चले कि, पुतिन के भारत दौरे के बाद यह सवाल उठ रहा था कि क्या इससे अमेरिका के साथ रिश्तों पर असर पड़ेगा? इस पर जयशंकर ने कहा कि वह पश्चिमी प्रेस से निष्पक्ष मूल्यांकन की उम्मीद नहीं करते। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को लेकर भारत दूसरों की सोच के बजाय अपने हितों के आधार पर निर्णय लेगा।
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70–80 वर्षों की साझेदारी, भारत-रूस रिश्ते सबसे मजबूत — जयशंकर
विदेश मंत्री ने याद दिलाया कि पिछले सात-आठ दशकों में वैश्विक राजनीति में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन रूस-भारत के रिश्ते भरोसे पर टिके रहे। उन्होंने कहा कि दुनिया में सोवियत यूनियन के विघटन से लेकर यूक्रेन संकट तक कई बदलाव आए, फिर भी भारत–रूस रिश्ते मजबूती से खड़े रहे। इस दौरान चीन और यूरोप के साथ रूस के संबंधों में उतार-चढ़ाव दिखे, परंतु भारत-रूस संबंध हमेशा स्थिर बने रहे।
राष्ट्रीय हित सर्वोपरि — भारतीय कूटनीति पर जोर
जयशंकर ने कहा कि भारत की विदेश नीति किसी को खुश करने के लिए नहीं, बल्कि देश के हितों के लिए है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के साथ वार्ता में कोई कमी नहीं है और भारत-US ट्रेड डील जल्द पूरी हो सकती है। यानी भारत रूस और अमेरिका—दोनों देशों के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रखेगा। भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह अपनी विदेश नीति अंतरराष्ट्रीय दबाव पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हित पर आधारित रखेगा। पुतिन की यात्रा ने भारत-रूस संबंधों में नई ऊर्जा भरी है, वहीं विश्व पटल पर भारत की स्वतंत्र कूटनीतिक पहचान फिर उभरकर सामने आई है।
