Radha Ashtami 2025: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन राधा अष्टमी को बेहद ही खास माना गया है जो कि कृष्ण जन्माष्टमी के 14 दिनों बाद मनाई जाती है। यह पर्व देवी राधा को समर्पित है, इस दिन भक्त उपवास रखकर राधा कृष्ण की विधिवत पूजा करते हैं मान्यता है कि इसी पावन दिन राधा रानी का जन्म हुआ था जिसे राधा अष्टमी के तौर पर देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है, ऐसे में हम आपको राधा अष्टमी की तारीख और अन्य जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
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राधा अष्टमी की तारीख

आपको बता दें कि जन्माष्टमी के 14 दिनों के बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार 30 अगस्त की रात 10 बजकर 46 मिनट से लेकर 1 सितंबर की सुबह 12 बजकर 57 मिनट तक भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर 31 अगस्त दिन रविवार को राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा।
राधा अष्टमी के दिन आप निर्जला और फलाहार दोनों ही तरीके से व्रत रख सकते हैं, जो लोग निर्जला व्रत रखते हैं उन्हें दिनभर जल और अन्न कुछ भी खाने की मनाही होती है। जबकि फलाहार व्रत करने वाले भक्त दिन में एक बार फल और जल का सेवन कर सकते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त
बता दें कि राधा अष्टमी के दिन राधा जी की पूजा मध्याह्न काल यानी दोपहर में की जाती है। 31 अगस्त को सुबह 11 बजकर 5 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक मध्याह्न काल रहेगा। ये 2 घंटे 33 मिनट राधा जी की पूजा के लिए सबसे शुभ हैं। इसके अलावा इस दिन सूर्योदय सुबह 5 बजकर 59 मिनट पर हो जाएगा, जबकि ब्रह्म मुहूर्त प्रात: काल 4 बजकर 29 मिनट से सुबह 5 बजकर 14 मिनट तक, फिर अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक और सायाह्न सन्ध्या शाम को 6 बजकर 44 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
