Raghav Chadha: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद Raghav Chadha को विशेषाधिकार के उल्लंघन के तहत 11 अगस्त को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। जिसमें 115 दिनों के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ ने निलंबन वापस ले लिया है। जिस पर राघव चड्ढा ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा हैं कि, 11 अगस्त को मुझे राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। मैं अपने निलंबन को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और अब 115 दिनों के बाद मेरा निलंबन रद्द कर दिया गया है। मुझे खुशी है कि मेरा निलंबन वापस ले लिया गया है और मैं सुप्रीम कोर्ट और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को धन्यवाद देना चाहता हूं।
देखें लिंक:
My statement on the revocation of my suspension from Parliament today.
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) December 4, 2023
आपका बेटा आज से संसद में दोबारा आपकी सेवा में pic.twitter.com/869rRDBylj
Read more: जिलाधिकारी ने बूथ का किया निरीक्षण,जगह- जगह गंदगी का मिला अम्बार
जानें क्यों हुआ Raghav Chadha का निलंबन

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की एक गलती ने उनका निलंबन करा दिया था, जब अगस्त के महीने में दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी। उस समय उन्होंने पांच राज्यसभा सांसदों का नाम प्रवर समिति में शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं ली थी। साथ ही उन पर फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगा था। जिसके चलते उन्हें राज्यसभा सो निलंबित कर दिया गया था।
AAP सासंद की वापसी का प्रस्ताव
आपको बता दे कि सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र में बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने एक प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के सामने पेश किया। जिसमें आप सासंद की वापसी का प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव को मंजूर करते हुए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने राघव चड्ढा का निलंबन वापस ले लिया। आज 115 दिनों के बाद निलंबन वापस ले लिया गया है, जिस पर राघव चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाईर थी।
समिति की रिपोर्ट

सभापति ने समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 11 अगस्त 2023 से अब तक सदस्य का सदन से निलंबित रहना पर्याप्त सजा है जो न्याय के उद्देश्य को पूरा करता है। उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह उम्मीद जताई कि आम आदमी पार्टी के सदस्य राघव चड्ढा आत्मावलोकन करेंगे और भविष्य में सदन की गरिमा और परंपरा के अनुरूप आचरण करेंगे।


