Sukanta Majumdar: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के कोलंबिया विश्वविद्यालय में दिए गए हालिया बयानों पर देशभर में सियासी प्रतिक्रिया जारी है। अब इस पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री और बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने राहुल गांधी को “हताश और दिशाहीन नेता” करार देते हुए कहा कि कांग्रेस नेता अब भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जानबूझकर नुकसान पहुंचा रहे हैं।
“राहुल गांधी को देश की गरिमा का ध्यान नहीं”
सुकांत मजूमदार ने कहा: “कांग्रेस और राहुल गांधी हताशा में डूब चुके हैं। वह भूल गए हैं कि एक भारतीय राजनेता के तौर पर विदेश में भारत की आलोचना करना क्या मायने रखता है। देश के बाहर जाकर सरकार की आलोचना करना ठीक है, लेकिन अगर आप भारत के लोकतंत्र और संस्थाओं पर सवाल उठाते हैं, तो वह सिर्फ सरकार नहीं, पूरे देश का अपमान है।”उन्होंने कहा कि राहुल गांधी बार-बार यही गलती दोहरा रहे हैं, और जनता उन्हें बार-बार नकार रही है।
“राहुल गांधी रहेंगे हमेशा वेटिंग लिस्ट में”
सुकांत मजूमदार ने तंज कसते हुए कहा:“राहुल गांधी हमेशा वेटिंग लिस्ट में ही रहेंगे। देश की जनता उन्हें कभी भी सत्ता की चाबी नहीं सौंपेगी। क्योंकि उन्होंने खुद ये साबित किया है कि उन्हें सिर्फ सत्ता चाहिए, देश नहीं। उन्होंने अपनी राजनीति को विपक्ष से अधिक विरोध और नकारात्मकता में बदल दिया है।”
“भाजपा का विरोध करते-करते देश का विरोध कर बैठे राहुल”
भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी, भाजपा से इतनी नफरत करने लगे हैं कि अब वे देश का भी विरोध करने लगे हैं। उन्होंने कहा: “राहुल गांधी अब देश के बारे में बुरा बोलना आदत बना चुके हैं। उन्हें लग रहा है कि इससे अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा, लेकिन वो भूल रहे हैं कि भारत की जनता बहुत समझदार है। देश की छवि को नुकसान पहुंचाकर कोई भी नेता लोकप्रिय नहीं बन सकता।”
राजनीतिक मर्यादा की नसीहत
सुकांत मजूमदार ने कहा कि राजनीति में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन देश के बाहर जाकर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाना मर्यादा का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि सत्ता पाने की कोशिश में देश की छवि खराब करना राष्ट्र विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।राहुल गांधी के कोलंबिया में दिए गए बयान ने एक बार फिर सियासी पारा चढ़ा दिया है। भाजपा नेता सुकांत मजूमदार का यह बयान न सिर्फ कांग्रेस की रणनीति पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि आने वाले चुनावों में राष्ट्रवाद बनाम नकारात्मक राजनीति की बहस को और तेज कर सकता है।
