Rahul Gandhi Lok Sabha: लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई बहस के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 29 बार दावा कर चुके हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच उन्होंने सीजफायर करवाया। राहुल ने कहा “अगर प्रधानमंत्री में दम है तो वह सदन में खड़े होकर कहें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं।” राहुल गांधी ने कहा कि रक्षा मंत्री ने खुद सदन में यह स्वीकार किया है कि भारत ने रात 1:35 बजे पाकिस्तान को सूचित किया कि हम केवल आतंकी ठिकानों पर हमला कर रहे हैं और कोई एस्केलेशन नहीं चाहते। उन्होंने इसे “35 मिनट में सरेंडर” करार दिया और कहा कि इससे साफ होता है कि सरकार के पास संघर्ष की राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं है।
‘सेना को पूरी छूट चाहिए’
राहुल ने कहा कि अगर सेना से आप परिणाम चाहते हैं, तो उसे राजनीतिक इच्छा शक्ति के साथ-साथ पूरी फ्रीडम भी देनी होगी। उन्होंने टिप्पणी की, “टाइगर को आप बांधकर नहीं रख सकते। उसे फ्रीडम देनी पड़ेगी।” उन्होंने कहा कि सरकार ने पायलटों के हाथ बांध दिए थे, जिससे ऑपरेशन की प्रभावशीलता सीमित हो गई। राहुल गांधी ने 1971 के युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनरल सैम मानेकशॉ को पूरी स्वतंत्रता दी थी, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान की एक लाख सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश बना। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी में इंदिरा गांधी जैसा 50 प्रतिशत भी साहस नहीं है।
‘पाक को पहले ही बता दिया गया…’
राहुल ने ऑपरेशन सिंदूर की रात की रणनीति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि डीजीएमओ ने खुद बताया कि पाकिस्तान को पहले ही सूचित कर दिया गया था कि हम उनके सैन्य अड्डों पर हमला नहीं करेंगे। इससे साफ था कि सरकार संघर्ष नहीं चाहती और यह दुश्मन के सामने कमजोरी का संकेत है। राहुल ने इंडोनेशिया में भारत के रक्षा अटैची कैप्टन शिवकुमार के बयान का हवाला देते हुए कहा कि कुछ एयरक्राफ्ट्स इसलिए खोए गए क्योंकि उन्हें दुश्मन के सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमला करने की इजाज़त नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने हमारी वायुसेना को हाथ बांधकर युद्ध क्षेत्र में भेजा।
‘गलती सेना की नहीं, नेताओं की है’- राहुल गांधी
राहुल ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना की कोई चूक नहीं थी। असली गलती नेताओं की थी, जिन्होंने सैनिकों को सीमित करने वाले आदेश दिए। उन्होंने कहा “हमने थप्पड़ मारा और फिर कहा, दूसरा नहीं मारेंगे। इससे संदेश गया कि हम लड़ाई नहीं चाहते।” राहुल ने आरोप लगाया कि इस ऑपरेशन की योजना इस तरह बनाई गई थी ताकि प्रधानमंत्री मोदी की छवि को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले में शहीद हुए लोगों के खून के छींटे प्रधानमंत्री पर थे और युद्ध का डर दिखाकर सरकार ने जल्दीबाजी में ऑपरेशन को सीमित कर दिया।
राहुल गांधी ने दोहराया कि अगर ट्रंप का दावा
राहुल गांधी ने दोहराया कि अगर ट्रंप का दावा गलत है तो प्रधानमंत्री मोदी को खुलेआम संसद में यह कहना चाहिए कि उन्होंने झूठ बोला है। उन्होंने यह भी कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद कोई भी अंतरराष्ट्रीय सरकार पाकिस्तान की निंदा नहीं कर पाई जिससे भारत की विदेश नीति की कमजोरी उजागर होती है। राहुल गांधी के संसद में दिए गए बयान से ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्र सरकार की रणनीति और विदेश नीति को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए उन्हें ट्रंप के बयानों को चुनौती देने के लिए प्रेरित किया। इस पूरे प्रकरण ने सुरक्षा, जवाबदेही और राजनीतिक नेतृत्व पर एक नई बहस को जन्म दिया है।