Rahul Gandhi Reaction: दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह फैसला दशकों पुरानी मानवीय और वैज्ञानिक नीति से पीछे हटने जैसा है। राहुल गांधी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “आवारा कुत्ते कोई ‘समस्या’ नहीं हैं जिन्हें हटाया जाए। इनके लिए शेल्टर, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल जैसे समाधान मौजूद हैं। पूरी तरह पाबंदी न केवल क्रूर है, बल्कि अदूरदर्शी भी है। यह हमारी दया भावना को खत्म करता है।” उन्होंने आगे लिखा कि समाज को ऐसा मॉडल अपनाना चाहिए, जिसमें जन सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों साथ-साथ चल सकें।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर के सभी नगर निकायों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को आठ हफ्ते के भीतर सड़कों से हटाकर स्थायी शेल्टर होम में रखा जाए। साथ ही इनकी नसबंदी भी सुनिश्चित की जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इन कुत्तों को दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने दिया। कोर्ट ने यह स्वतः संज्ञान (suo motu) लेते हुए दिया, जब बच्चों पर आवारा कुत्तों के हमलों की खबरें लगातार सामने आईं।
राहुल गांधी का पशु-प्रेम और संवेदनशील रुख
राहुल गांधी लंबे समय से पशु अधिकारों के समर्थन में अपनी आवाज उठाते रहे हैं। इससे पहले भी वे गायों, हाथियों और अन्य वन्य जीवों की रक्षा के पक्ष में सक्रिय रहे हैं। उनका ताजा बयान भी इसी दिशा में देखा जा रहा है। उनका कहना है कि “समाधान मौजूद हैं, लेकिन हमें उन्हें अपनाने की इच्छा शक्ति चाहिए। क्रूरता के रास्ते पर चलना सभ्य समाज को शोभा नहीं देता।”
राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश भी सुर्खियों में
दिल्ली-एनसीआर के अलावा राजस्थान हाईकोर्ट ने भी हाल ही में शहरी इलाकों से आवारा कुत्तों और पशुओं को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट का कहना है कि यह आदेश सार्वजनिक सुरक्षा और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश जहां आम जनता की सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी माना जा रहा है, वहीं राहुल गांधी जैसे नेताओं का मानना है कि समाधान का रास्ता क्रूरता से नहीं, करुणा और विज्ञान से होकर गुजरता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि स्थानीय प्रशासन कोर्ट के आदेश को कैसे लागू करता है, और क्या इसमें पशु कल्याण के मानकों का संतुलन भी बनाए रखा जाता है।
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