IIPS Suicide Case : हरियाणा के वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के सात दिन बाद भी पोस्टमॉर्टम नहीं हो पाया है। यह मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। मंगलवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मृतक अफसर के परिवार से मुलाकात की और हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने साफ कहा कि “हरियाणा सरकार तमाशा बंद करे और दिवंगत अफसर को सम्मान दे।”
राहुल गांधी बोले – अफसर पर हो रहा था सिस्टमेटिक भेदभाव
राहुल गांधी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “वाई. पूरन कुमार एक सीनियर आईपीएस अफसर थे। उनकी दो बेटियां हैं, जिन्होंने अपने पिता को खो दिया है। यह कोई अचानक घटना नहीं है। यह मामला 10-15 दिन पुराना नहीं, बल्कि सालों से चला आ रहा सिस्टमेटिक भेदभाव का परिणाम है। वह एक दलित कपल हैं और वर्षों से उन्हें टारगेट किया जा रहा था।”
‘फैमिली पर डाला जा रहा है दबाव’
राहुल ने आरोप लगाया कि मृतक अफसर के परिवार पर जांच में चुप रहने का दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह अफसर का ही नहीं, पूरे देश के दलित समाज का अपमान है। करोड़ों दलित भाई-बहनों को यह संदेश जा रहा है कि चाहे आप कितने भी काबिल और सीनियर क्यों न हों, अगर आप दलित हैं तो आपको सिस्टम कुचल सकता है।”
‘पोस्टमॉर्टम में हो रही देरी असंवेदनशीलता का प्रतीक’
राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि जब एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की मौत के सात दिन बाद भी पोस्टमॉर्टम नहीं हो पाया है, तो यह सरकार की संवेदनहीनता नहीं तो और क्या है? उन्होंने कहा, “परिवार की सिर्फ एक मांग है – शरीर का सम्मान करें, और निष्पक्ष जांच करें। लेकिन सरकार अब तक कार्रवाई करने में विफल रही है।”
मुख्यमंत्री के कमिटमेंट का नहीं हो रहा पालन
राहुल गांधी ने खुलासा किया कि मुख्यमंत्री ने खुद परिवार से फ्री एंड फेयर जांच का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा, “सीएम ने तीन दिन पहले एक्शन का आश्वासन दिया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।”इस संवेदनशील मामले में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी वाई. पूरन कुमार को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। वहीं हरियाणा सरकार ने DGP शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है और ओम प्रकाश सिंह को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
राहुल गांधी की प्रधानमंत्री से अपील
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। यह एक व्यक्ति का नहीं, पूरे समाज का मामला है।”आईपीएस वाई. पूरन कुमार की मौत पर उठे सवाल केवल एक अफसर की ट्रेजेडी नहीं, बल्कि सिस्टम के भीतर गहरे भेदभाव की कहानी बयां कर रहे हैं। अब निगाहें केंद्र और राज्य सरकार पर हैं कि वे न्याय दिलाने के लिए कितना संजीदा कदम उठाते हैं।

