Voter Adhikar Yatra: बिहार की राजनीति इन दिनों एक बड़े बदलाव का संकेत दे रही है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा 2025 ने पूरे राज्य की सियासत में हलचल पैदा कर दी है. रविवार को सासाराम से शुरू हुई यह यात्रा सोमवार को औरंगाबाद होते हुए गया तक पहुंची. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह सिर्फ एक यात्रा है या आने वाले चुनावों का इशारा ?
राहुल गांधी के तीखे आरोप

वोटर अधिकार यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि “देश में एक बड़ा चुनावी घोटाला चल रहा है और नागरिकों के संवैधानिक अधिकार छीने जा रहे हैं.” राहुल गांधी का दावा है कि कई लोग उनसे मिले और बताया कि उनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं.
राहुल गांधी के आरोपों को चुनाव आयोग ने किया खारिज

राहुल गांधी के आरोपों को चुनाव आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया है. चुनाव आयोग ने उन्हें सात दिन का समय दिया है कि वे या तो शपथपत्र के साथ सबूत पेश करें या फिर सार्वजनिक माफी मांगें. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल के पास पुख्ता सबूत हैं या यह केवल एक राजनीतिक रणनीति है.
औरंगाबाद से गया तक यात्रा का दूसरा चरण
सोमवार को यात्रा औरंगाबाद के देव सूर्य मंदिर से शुरू होकर अंबा और कुटुंबा होते हुए गया जिले में दाखिल हुई. गया के गुरारू स्थित खलीस पार्क में एक बड़ी जनसभा का आयोजन हुआ, जहां राहुल और तेजस्वी ने स्थानीय जनता से संवाद किया. अभी यह यात्रा पैदल मार्च के बजाय वाहन रैली के रूप में हो रही है, लेकिन दोनों नेता लगातार आम लोगों से मुलाकात कर रहे हैं.
राहुल-तेजस्वी की जुगलबंदी

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह यात्रा केवल एक केवल प्रतीकात्मक नहीं बल्कि जनता से सीधे जुड़ने की ग्राउंड कनेक्ट स्ट्रैटेजी है. राहुल और तेजस्वी दोनों ग्रामीण इलाकों में जनता के मुद्दे सुन रहे हैं और उनसे संवाद कर रहे हैं. यह यात्रा सिर्फ राहुल गांधी का कार्यक्रम नहीं है. तेजस्वी यादव की सक्रिय भागीदारी इसे और अहम बना देती है. यह INDIA गठबंधन की एकजुटता और ताकत का भी प्रदर्शन माना जा रहा है. 1 सितंबर को पटना में इसका समापन एक ग्रैंड रैली से होगा, जिसमें INDIA गठबंधन के कई बड़े नेता शामिल होंगे.
क्या रैली बनेगी चुनावी बिगुल?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पटना की रैली विपक्षी दलों के लिए 2025-26 के चुनाव का बिगुल साबित हो सकती है. यह सभा न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की राजनीति में संदेश देने वाली होगी. राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग की कड़ी प्रतिक्रिया ने बहस को और तीखा बना दिया है. अगर राहुल सबूत पेश करने में नाकाम रहते हैं तो यह उनके लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. वहीं यदि सबूत सामने आते हैं तो चुनाव आयोग और बीजेपी दोनों पर दबाव बढ़ेगा.
बिहार से उठी बहस, राष्ट्रीय स्तर तक गूंज

वोटर अधिकार यात्रा अब सिर्फ बिहार की सड़क यात्रा नहीं रही, बल्कि यह सवालों और आरोपों का राजनीतिक कारवां बन चुकी है. क्या यह यात्रा सच में वोटरों को उनके अधिकार दिलाएगी या महज एक राजनीतिक प्रदर्शन साबित होगी? आने वाले दिनों में यह तय होगा कि राहुल-तेजस्वी की यह जुगलबंदी बिहार की राजनीति को किस दिशा में ले जाती है.

