Raebareli Mob Lynching: रायबरेली में दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की मॉब लिंचिंग की घटना पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे सिर्फ एक युवक की हत्या नहीं, बल्कि संविधान, इंसानियत और न्याय की हत्या करार दिया है। राहुल ने कहा कि देश भीड़ की सनक से नहीं, संविधान से चलेगा।
‘संविधान की जगह बुलडोजर ने ले ली है’
राहुल गांधी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “संविधान की जगह बुलडोजर ने ले ली है, इंसाफ की जगह डर ने। मगर यह देश संविधान से चलेगा, भीड़ की सनक से नहीं।” उन्होंने पीड़ित परिवार से फोन पर बात कर उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा भी दिलाया।
क्या है पूरा मामला?
2 अक्टूबर को रायबरेली के ऊंचाहार में 26 वर्षीय दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। शुरुआत में उस पर ड्रोन चोरी का आरोप लगाया गया। घटना का वीडियो सामने आने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। 4 अक्टूबर को एक और वीडियो वायरल हुआ, जिसमें हरिओम मार खाते हुए राहुल गांधी का नाम लेता है, तो भीड़ से एक व्यक्ति कहता है, ‘यहां सब बाबा वाले हैं।’
प्रशासन की कार्रवाई
घटना में लापरवाही बरतने पर ऊंचाहार थाना प्रभारी संजय कुमार समेत 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए हैं। अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। फिर भी, विपक्ष सवाल उठा रहा है कि क्या ये पर्याप्त है? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दलितों और गरीबों के खिलाफ बढ़ती हिंसा का प्रतीक है। राहुल गांधी ने कहा, “जो रायबरेली में हुआ, वह देश के संविधान, दलित समाज और मानवता के खिलाफ अपराध है।”
दलितों और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार
राहुल गांधी ने कहा कि हाथरस, उन्नाव, रोहित वेमुला, पहलू खान, अखलाक जैसे मामले इस बात के गवाह हैं कि दलितों, अल्पसंख्यकों और गरीब तबकों पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “2014 के बाद मॉब लिंचिंग और बुलडोजर राजनीति इस देश की भयावह पहचान बन चुकी हैं।”
“मानवता ही एकमात्र रास्ता है”
राहुल ने डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी के सपनों का भारत याद दिलाते हुए कहा कि यह देश सामाजिक न्याय, समानता और संवेदना पर टिका है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वंचितों और कमजोर तबकों के साथ खड़ी है और इस लड़ाई को अंजाम तक ले जाएगी।रायबरेली की घटना ने एक बार फिर भीड़तंत्र और न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। राहुल गांधी का यह संदेश केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का आह्वान भी है – कि भारत संविधान से चलेगा, न कि नफरत की भीड़ से।
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