Rajasthan New Law: राजस्थान सरकार ने मृत शरीर सम्मान अधिनियम के नियमों को मंजूरी देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में किसी भी प्रकार से शव का अनादर करना, उसे सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन करना या उसका दुरुपयोग करना अब एक गंभीर अपराध माना जाएगा। सरकार का कहना है कि यह अधिनियम न केवल सामाजिक अनुशासन को बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि मृतक की गरिमा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का एक संवैधानिक कदम है।
Rajasthan New Law: 24 घंटे में अंतिम संस्कार अनिवार्य
नए प्रावधानों के अनुसार, किसी भी मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा नोटिस जारी होने के 24 घंटे के भीतर कराना अनिवार्य होगा। यदि परिवारजन या जिम्मेदार व्यक्ति निर्धारित समय में अंतिम संस्कार नहीं करते, तो पुलिस हस्तक्षेप कर शव को अपने कब्जे में लेगी और उसका विधिवत संस्कार कराएगी। यह नियम उन परिस्थितियों को रोकने के लिए बनाया गया है, जिनमें कानूनी, सामाजिक अथवा अन्य कारणों से शव कई दिनों तक बिना संस्कार के रखे रह जाते थे।
Rajasthan New Law: अस्पतालों में बिल के बहाने शव रोकना प्रतिबंधित
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब किसी अस्पताल, मेडिकल संस्थान या निजी नर्सिंग होम को बकाया बिल के कारण मृतक का शव रोकने का अधिकार नहीं होगा। अस्पतालों को शव परिजनों को सम्मानपूर्वक सौंपना अनिवार्य होगा। यदि कोई संस्था इस आदेश का पालन नहीं करती या जानबूझकर देरी करती है, तो उसके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम मृतकों के परिजनों को मानसिक और आर्थिक शोषण से बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
विरोध प्रदर्शनों में शव के उपयोग पर रोक
सरकार ने अधिनियम में एक महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़ते हुए कहा कि विरोध, प्रदर्शन या प्रशासनिक दबाव बनाने के लिए शव का उपयोग अब पूरी तरह से प्रतिबंधित है। ऐसा करने वाले व्यक्तियों के लिए 6 माह से 5 वर्ष तक की कैद का प्रावधान रखा गया है। यदि मृतक के परिजन प्रदर्शन में शव का उपयोग करते हैं, तो उन्हें भी 2 वर्ष तक की सजा हो सकती है। इसी प्रकार यदि कोई बाहरी व्यक्ति ऐसा करता है, तो उसके लिए भी 6 माह से 5 वर्ष तक की कठोर सजा लागू होगी।
शव लेने से इंकार करने पर भी दंड
सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि यदि कोई परिवार किसी कारण से मृतक का शव लेने से मना करता है, तो यह अब दंडनीय अपराध होगा। ऐसे मामलों में परिजन को 1 वर्ष तक की जेल या जुर्माना या दोनों दंड मिल सकते हैं। सरकार का मानना है कि शव लेने से इंकार करना सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ता है और मृत व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुँचाता है।अधिनियम में गोपनीयता से जुड़े प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। यदि किसी मृतक का डीएनए संबंधी डेटा या कोई भी जैनेटिक जानकारी लीक होती है, तो संबंधित कर्मचारी या अधिकारी को 3 से 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है। यह प्रावधान मृतक और उसके परिवार की निजता की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया है।
उद्देश्य दंड नहीं, बल्कि सम्मान और व्यवस्था की सुरक्षा
राजस्थान सरकार ने स्पष्ट किया है कि नए नियमों का उद्देश्य लोगों को दंडित करना नहीं, बल्कि मृतक की गरिमा और सामाजिक शांति की रक्षा करना है। सरकार का दावा है कि अधिनियम के लागू होने से अब शवों के साथ होने वाले अनुचित व्यवहार, अस्पतालों में शव रोकने की समस्या और देर से अंतिम संस्कार जैसी स्थितियों पर प्रभावी रोक लग सकेगी।
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