Rajnath Singh: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर सनसनीखेज बयान देकर भू-राजनीतिक हलचल मचा दी है। ट्रंप ने दावा किया है कि पाकिस्तान गुप्त रूप से भूमिगत परमाणु परीक्षण कर रहा है। उन्होंने यह बात अमेरिकी नेटवर्क सीबीएस (CBS) को दिए एक इंटरव्यू में कही।ट्रंप ने कहा, “कई देश ऐसे हैं जो अभी भी परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं, जबकि अमेरिका संयम दिखा रहा है। हमें नहीं पता कि वे क्या कर रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि पाकिस्तान जैसे देश कुछ छिपा रहे हैं।”इस बयान के बाद दक्षिण एशिया में सुरक्षा और स्थिरता को लेकर चिंता गहराने लगी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब दो परमाणु संपन्न पड़ोसी देशों—भारत और पाकिस्तान—की नीतियों पर टिक गई हैं।
भारत का रुख: “हम तैयार हैं, संयम और तत्परता हमारी नीति”
ट्रंप के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ऐसी रिपोर्टों से विचलित नहीं होता। उन्होंने कहा, “जो देश परीक्षण करना चाहते हैं, करें। भारत किसी को रोकने नहीं जा रहा, लेकिन अगर वक्त आया तो हम हर चुनौती का जवाब देने को तैयार हैं।”राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत की रणनीति “Restraint and Readiness (संयम और तत्परता)” दोनों पर आधारित है। जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत भी परीक्षण करेगा, तो उन्होंने जवाब दिया, “पहले देखते हैं कि वे ऐसा करते हैं या नहीं।”
पाकिस्तान की सफाई: “यह झूठा और भ्रामक आरोप”
ट्रंप के आरोपों को पाकिस्तान ने “बिलकुल गलत और भ्रामक” बताया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश अब भी एकतरफा परीक्षण-निरोध नीति (Unilateral Testing Moratorium) पर कायम है।एक वरिष्ठ अधिकारी ने बयान में कहा, “न तो हमने पहले कोई गुप्त परमाणु परीक्षण किया था, न अब करने जा रहे हैं। पाकिस्तान जिम्मेदार परमाणु शक्ति है और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करता है।”हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम पारदर्शिता से दूर रहा है। उसका चीन और उत्तर कोरिया के साथ तकनीकी सहयोग लंबे समय से वैश्विक चिंता का विषय रहा है।
भारत की नीति: “नो फर्स्ट यूज” अब भी कायम
भारत की परमाणु नीति 1998 के पोखरण परीक्षणों के बाद से ही “नो फर्स्ट यूज” (NFU) सिद्धांत पर आधारित है। यानी भारत कभी भी किसी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन यदि हमला हुआ तो उसका जवाब पूर्ण शक्ति से देगा।विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान अमेरिकी चुनावी राजनीति और वैश्विक शक्ति संतुलन के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। वहीं दक्षिण एशिया में परमाणु तनाव एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है।
