Rajya Sabha Bypoll: पंजाब से राज्यसभा उपचुनाव में नामांकन के दौरान बड़ा विवाद सामने आया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के 10 विधायकों के फर्जी हस्ताक्षर कर नामांकन दाखिल करने के मामले ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में हलचल मचा दी है। आरोपी नवनीत चतुर्वेदी की गिरफ्तारी के लिए पहुंची पंजाब पुलिस को चंडीगढ़ पुलिस से टकराव का सामना करना पड़ा।
चंडीगढ़ में आमने-सामने आईं दोनों पुलिस टीमें
मंगलवार को रूपनगर पुलिस की टीम जब जयपुर निवासी नवनीत चतुर्वेदी को गिरफ्तार करने के लिए चंडीगढ़ के सुखना लेक के पास पहुंची, तो वहां चंडीगढ़ पुलिस ने नवनीत को सुरक्षा दे दी। इसके बाद दोनों पुलिस टीमों के बीच तीखी बहस हुई और माहौल तनावपूर्ण हो गया। चंडीगढ़ पुलिस नवनीत को अपने हेडक्वार्टर ले गई और वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं कि एक तरफ आरोपी के खिलाफ केस दर्ज है, दूसरी ओर उसे सुरक्षा क्यों दी जा रही है?
फर्जी नामांकन में विधायक बोले- साइन हमारे नहीं
राज्यसभा उपचुनाव के लिए 24 अक्टूबर को मतदान होना है। नवनीत चतुर्वेदी ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया, जिसमें उनके प्रस्तावक के रूप में AAP के कई विधायक शामिल दिखाए गए। नामांकन पत्र के साथ लगे दस्तावेज़ों में विधायकों के हस्ताक्षर की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। इसके बाद विधायकों ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्होंने किसी भी तरह के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और न ही नवनीत चतुर्वेदी को समर्थन दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके सभी हस्ताक्षर फर्जी हैं और धोखाधड़ी की गई है।
धोखाधड़ी के गंभीर आरोप, FIR दर्ज
इस मामले में रूपनगर समेत कई थानों में एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि नवनीत चतुर्वेदी ने खुद को जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताकर चुनाव आयोग को गुमराह किया और नामांकन दाखिल कर दिया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और फोरेंसिक जांच व डिजिटल साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
आम आदमी पार्टी ने की सख्त कार्रवाई की मांग
आप पार्टी ने इस पूरे मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी का कहना है कि लोकतंत्र के इस पवित्र मंच पर ऐसा फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पार्टी ने चुनाव आयोग और पुलिस से मांग की है कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई ऐसा दुस्साहस न कर सके।
चुनाव प्रक्रिया पर उठे सवाल
गौरतलब है कि राज्यसभा उपचुनाव के लिए अधिसूचना 6 अक्टूबर को जारी हुई थी और नामांकन की अंतिम तारीख 13 अक्टूबर थी। 14 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच हुई, जिसमें यह मामला सामने आया। फर्जी हस्ताक्षरों का यह प्रकरण अब चुनाव की निष्पक्षता पर भी सवाल उठा रहा है। राज्यसभा चुनाव के नामांकन में सामने आया यह फर्जीवाड़ा न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर भी गहरा आघात है। अब सभी की नजरें जांच पर टिकी हैं कि क्या आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा और क्या इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो पाएगी।
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