Rajya Sabha Rules: संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर 2025 से शुरू होने जा रहा है। इसके पहले ही राज्यसभा में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। विवाद का कारण है राज्यसभा की ओर से हाल ही में जारी सांसदों के आचरण संबंधी बुलेटिन। इस बुलेटिन में सांसदों के लिए कुछ नए निर्देश दिए गए हैं, जिन्हें लेकर विपक्षी दलों, खासकर टीएमसी और कांग्रेस, ने कड़ी नाराजगी जताई है।
Rajya Sabha Rules: बुलेटिन में दिए गए नए निर्देश
बुलेटिन में सांसदों को कई नए नियमों का पालन करने की सलाह दी गई है। सबसे पहला निर्देश यह है कि संसद के भीतर “थैंक्स”, “थैंक यू”, “जय हिंद” और “वंदे मातरम” जैसे शब्दों के इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए। बुलेटिन में स्पष्ट किया गया है कि संसद की परंपराओं में भाषण के अंत में इस तरह के स्लोगन की अनुमति नहीं है, इसलिए सांसदों को इन शब्दों से बचना चाहिए।
Rajya Sabha Rules: मंत्री की आलोचना के समय सदस्य की उपस्थिति अनिवार्य
बुलेटिन का दूसरा महत्वपूर्ण निर्देश यह है कि यदि कोई सांसद किसी मंत्री की आलोचना करता है, तो मंत्री के जवाब के समय उस सांसद का सदन में उपस्थित होना अनिवार्य है। इसका उद्देश्य सांसदों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराना और पार्लियामेंट्री प्रक्रिया में व्यवधान से बचना बताया गया है।बुलेटिन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सांसद सदन के वेल में कोई वस्तु प्रदर्शित नहीं कर सकते। इसके अलावा कई ऐसे व्यवहारों से बचने की हिदायत दी गई है, जो संसद की गरिमा और कार्यवाही में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। यह निर्देश सदन में शांति और अनुशासन बनाए रखने की दिशा में उठाया गया कदम है।
विपक्ष का विरोध
राज्यसभा के इस कदम का विपक्ष ने जोरदार विरोध किया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जय हिंद और वंदे मातरम बोलने से मना करने को बंगाली अस्मिता पर हमला बताया है। उनका कहना है कि यह निर्णय भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को ठेस पहुँचाने वाला है। दूसरी ओर, बीजेपी ने इस विवाद पर संयत प्रतिक्रिया दी है। पार्टी का कहना है कि बुलेटिन में दी गई सलाह कोई नई बात नहीं है और यह संसदीय परंपराओं के अनुरूप है।
चेयर के फैसलों की आलोचना पर पाबंदी
बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि सांसद सदन के अंदर या बाहर चेयर के फैसलों की आलोचना न करें। इसका उद्देश्य सदन में अनुशासन बनाए रखना और किसी भी प्रकार के विवाद या अव्यवस्था से बचना है।यदि कोई सदस्य दूसरे सदस्य की आलोचना करता है, तो उसे जवाब सुनने के लिए सदन में उपस्थित रहना जरूरी है। बुलेटिन में कहा गया है कि जवाब के दौरान गैर-हाजिर रहना पार्लियामेंट्री एटीकेट का उल्लंघन माना जाएगा। सांसदों को यह याद दिलाया गया है कि उनके इस कर्तव्य का पालन करना उनके संसदीय दायित्व का हिस्सा है।
उभरता एटीकेट सुधार
इस बुलेटिन का उद्देश्य सदन में संवाद और अनुशासन को मजबूत करना है। इसमें सांसदों के भाषण और व्यवहार को नियंत्रित करने के नियम दिए गए हैं ताकि सदन की गरिमा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित न हो।इस शीतकालीन सत्र में पहली बार उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन उच्च सदन की अध्यक्षता करेंगे। इस बदलाव के साथ ही सांसदों की जिम्मेदारियों और सदन के नियमों का पालन और अधिक सख्ती से सुनिश्चित किया जाएगा।राज्यसभा का नया बुलेटिन संसद की परंपराओं और अनुशासन बनाए रखने की दिशा में एक प्रयास है। हालांकि इसे लेकर राजनीतिक दलों में मतभेद और नाराजगी दिख रही है, लेकिन संसद की कार्यवाही और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने के लिए ये निर्देश महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
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