Rapido Founder Success Story: हममें से अधिकतर लोग एक या दो बार असफल होकर हार मान लेते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लगातार असफलताओं के बाद भी हिम्मत नहीं हारते। ऐसा ही एक नाम है पवन गुंटुपल्ली, जो आज भारत की जानी-मानी बाइक टैक्सी सेवा Rapido के सह-संस्थापक हैं। उनकी कंपनी का आज मूल्यांकन 6,700 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है, लेकिन इस सफलता के पीछे छुपी है 75 बार के रिजेक्शन की एक लंबी कहानी।
बचपन से ही था टेक्नोलॉजी से लगाव
पवन गुंटुपल्ली का जन्म तेलंगाना में हुआ। बचपन से ही उन्हें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में गहरी रुचि थी। यही जुनून उन्हें आईआईटी खड़गपुर तक ले गया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सैमसंग जैसी प्रतिष्ठित कंपनी में काम किया, जहां उन्हें इंडस्ट्री का अनुभव मिला।
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स्टार्टअप की शुरुआत
अपने दोस्त अरविंद सांका के साथ मिलकर पवन ने सबसे पहले एक स्टार्टअप “The Karrier” की शुरुआत की, लेकिन यह ज्यादा सफल नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने 2014 में बाइक टैक्सी सेवा Rapido की नींव रखी। जब पवन अपने इस विचार को लेकर निवेशकों के पास पहुंचे, तो 75 बार रिजेक्ट कर दिए गए।ओला और उबर जैसी बड़ी कंपनियों के दबाव के बावजूद पवन ने हार नहीं मानी। उन्होंने छोटे स्तर पर काम शुरू किया और 3 किलोमीटर के लिए सिर्फ 15 रुपये चार्ज करने का मॉडल पेश किया।
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2016 में आया टर्निंग पॉइंट
लगातार मेहनत और दृढ़ निश्चय के बाद 2016 में उन्हें पहला बड़ा ब्रेक मिला। हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन पवन मुंजल ने Rapido में निवेश किया। यह निवेश कंपनी के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इसके बाद Rapido ने धीरे-धीरे देश के 100 से अधिक शहरों में अपनी सेवाएं शुरू कर दीं।
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आज की रैपिडो
आज Rapido के पास 700,000 से अधिक यूजर्स और 50,000 से ज्यादा कैप्टन (ड्राइवर) हैं। Traxn के अनुसार कंपनी की मौजूदा वैल्यूएशन 825 मिलियन डॉलर (करीब 6,700 करोड़ रुपये) है। रैपिडो ने उन क्षेत्रों में भी सेवाएं दी हैं, जहां कार सेवाएं सीमित हैं, जैसे पहाड़ी और ग्रामीण इलाके।