Ratlam News: मध्य प्रदेश के रतलाम से जानलेवा हेल्थ सिस्टम का ऐसा वीडियों सामने आया है जिसे देख कर हर किसी रुह कांप जाएगी. एक गर्भवती महिला को अस्पताल से दो बार लौटा दिया गया और अंततः रास्ते में उसकी डिलीवरी हो गई, जिससे नवजात की मौत हो गई. इस दर्दनाक घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर लापरवाही को उजागर किया कर दिया, जिसके बाद अब स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है.
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इलाज के लिए अस्पताल नहीं ?

मध्य प्रदेश के रतलाम में ठेले पर गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने की दास्तां ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है. इलाज के लिए अस्पताल नहीं, अस्पताल है तो एंबुलेंस नहीं…प्रसव का दर्द झेलते हुए एक महिला ठेले से जब अस्पताल पहुंची तो वहां पर डॉक्टर नहीं थे. ठेले पर तड़पती रही गर्भवती और उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए पति भागता रहा. इसका वीडियों महज एक वीडियों नही है…ये बेबस जनता की लाचारी की तस्वीर है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हुआ निराशाजनक व्यवहार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 23 मार्च को कृष्ण ग्वाला अपनी पत्नी नीतू को सैलाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए थे. यहां नर्स चेतना चारेल ने उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि प्रसव कुछ दिन बाद होगा और महिला को घर भेज दिया. फिर रात 1 बजे नीतू को फिर से प्रसव पीड़ा शुरू हुई और उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इस बार नर्स गायत्री पाटीदार ने महिला को भर्ती करने से मना कर दिया और कहा कि प्रसव 15 घंटे बाद होगा.
घटना का एक वीडियो वायरल

इसके बाद दंपति ने घर लौटने का निर्णय लिया, लेकिन कुछ देर बाद नीतू को फिर से प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. इस बार उसका पति उसे ठेले पर लादकर तीसरी बार अस्पताल ले जाने के लिए निकला. रास्ते में, सुबह 3 बजे महिला ने प्रसव किया, जिससे नवजात की मृत्यु हो गई. इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें महिला को ठेले पर अस्पताल ले जाते हुए देखा जा सकता है.
मामले की जांच शुरु
बदलते मध्य प्रदेस के फर्जी कागजातों पर फर्जी सुशासन की सबसे भयावह तस्वीर है. इस घटना के बाद सैलाना के उपमंडल मजिस्ट्रेट मनीष जैन ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। जिला अस्पताल के सीएमएचओ डॉ. एमएस सागर ने बताया कि कलेक्टर राजेश बाथम ने नवजात की मौत की जांच के आदेश दिए हैं। जिला स्तर पर की गई जांच में ड्यूटी में लापरवाही पाए जाने के बाद सैलाना ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) डॉ. पीसी कोली को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा, ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर शैलेश डांगे के खिलाफ राज्य स्वास्थ्य सेवा आयुक्त को पत्र भेजा गया है।
नर्सिंग अधिकारी तत्काल प्रभाव से निलंबित

स्वास्थ्य अधिकारियों ने नर्सिंग अधिकारी चेतना चारेल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, जबकि एनएचएम की संविदा नर्सिंग अधिकारी गायत्री पाटीदार की सेवाएं भी समाप्त कर दी गई हैं। इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर कमियों को उजागर किया है, और अब प्रशासन ने मामले में कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है।
अस्पताल से क्या लौटाया गया …सबसे बड़ा सवाल ?
बहरहाल, सवाल इस बात का है कि अगर कोई गर्भवती महिला डिलीवरी के लिए सरकारी अस्पताल जाती है तो आखिर उसे लौटाया क्यों गया? किन परिस्थितियों में उसे वापस घर भेज दिया गया. इन सवालों के जवाब आना बाकी है. बड़ा सवाल यह कि आखिर लोगों को जीवन देने वाले धरती के डॉक्टरों की संवेदनाएं कैसे खत्म हो रही है?इस घटना ने न केवल रतलाम बल्कि पूरे राज्य के स्वास्थ्य विभाग को हिला कर रख दिया है. अब यह देखना होगा कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ क्या सख्त कार्रवाई की जाती है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो.
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