रविदास जयंती (Ravidas Jayanti) हर साल माघ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, और इस बार यह 2025 में 11 फरवरी को मनाई जाएगी। संत रविदास जी का जीवन और उनके उपदेश समाज में समानता, भाईचारे और नफरत के खिलाफ एक मजबूत संदेश देते हैं। उन्होंने अपने भजनों और शिक्षाओं के माध्यम से दीन-हीन, शोषित और गरीब वर्गों के लिए अपनी आवाज उठाई और समाज में हर इंसान को बराबरी का हक दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके योगदान को हम इस दिन विशेष रूप से याद करते हैं।
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भेदभाव, जातिवाद और असमानता के खिलाफ उठाई आवाज

संत रविदास (Ravidas Jayanti) ने अपने जीवन में समाज में व्याप्त भेदभाव, जातिवाद और असमानता के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी। उनका सबसे बड़ा संदेश था कि इंसानियत सबसे ऊपर है और किसी भी व्यक्ति की असली पहचान उसका धर्म या जाति नहीं, बल्कि उसकी अच्छाई है। वे कहते थे, “हम सब एक ही भगवान के बेटे हैं, और सबको समान अधिकार मिलना चाहिए।” संत रविदास ने यह भी बताया कि, सच्ची पूजा और भक्ति समाज सेवा में ही है, और भगवान के प्रति समर्पण दिखाने का असली तरीका दूसरों की मदद करना है।
लोगों में आत्मविश्वास और साहस
रविदास जी ने खासतौर पर गरीबों, दलितों और शोषित वर्गों के लिए अपने दिल में विशेष स्थान रखा। उनका विश्वास था कि, समाज में किसी भी वर्ग का व्यक्ति दबा हुआ है तो यह पूरे समाज की असफलता है। वे अपने भजनों के माध्यम से लोगों में आत्मविश्वास और साहस भरते थे और उन्हें यह समझाते थे कि भगवान के दर पर सभी समान हैं। रविदास जी ने अपने जीवन में यह सिद्ध कर दिया कि प्रेम और भक्ति का कोई जाति या धर्म नहीं होता।

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समाज में समानता, भाईचारा और प्रेम
रविदास जयंती (Ravidas Jayanti) पर हम उनके इन विचारों को याद करते हैं और यह संकल्प लेते हैं कि हम भी समाज में समानता, भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देंगे। इस दिन को मनाने के दौरान हम रविदास जी के भजनों का गायन करते हैं, पूजा अर्चना करते हैं और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि समाज के हर वर्ग को समान दर्जा मिलना चाहिए और हमें मिलकर समाज में बदलाव लाने की दिशा में काम करना चाहिए।
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गरीबों की मदद करने का आयोजन
इस दिन पर लोग दीन-हीन और गरीबों की मदद करने के लिए भी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जैसे कि उनके लिए खाद्य वितरण, कपड़े वितरण और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना। इस दिन को विशेष रूप से मनाने का उद्देश्य यही है कि संत रविदास जी के दिखाए मार्ग पर चलकर हम अपने समाज में सुधार ला सकें और एक समान, शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकें।

