RBI MPC Decision: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि अक्टूबर 2025 में भी रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर कायम रहेगा, जैसा कि अगस्त में निर्धारित किया गया था। यह निर्णय RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में लिया गया।
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रेपो रेट स्थिर रहने का मतलब क्या है?
यह फैसला वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू आर्थिक मुद्दों जैसे GST सुधार और महंगाई नियंत्रण के बीच लिया गया है। रेपो रेट स्थिर रहने का मतलब है कि बैंकों के लिए उधारी की लागत में कोई बदलाव नहीं होगा। इससे लोन लेने वाले और EMI चुकाने वाले ग्राहकों को फिलहाल कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि ब्याज दरें यथावत रहेंगी।
बैंकों के लिए भी उधार लेना महंगा या सस्ता नहीं होगा, जिससे उनकी लोन नीति में कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना नहीं है। निवेशकों के लिए यह संकेत है कि RBI फिलहाल आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और किसी बड़े बदलाव के मूड में नहीं है।
आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच RBI की सतर्क नीति
विश्व स्तर पर बढ़ती आर्थिक अनिश्चितताओं को देखते हुए RBI ने सतर्कता बरतने का फैसला किया है। टैरिफ टेंशन, विदेशी बाजारों में अस्थिरता और घरेलू GST सुधार के मुद्दे ऐसे कारक हैं जो इस निर्णय को प्रभावित करते हैं।
RBI का उद्देश्य मौजूदा आर्थिक परिस्थिति में स्थिरता बनाए रखना है जिससे बाजारों में विश्वास बना रहे और आर्थिक विकास धीमा न हो। इससे विदेशी निवेशकों के लिए भी यह एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच समझदारी से कदम उठा रहा है।
निवेशकों और कर्ज लेने वालों पर प्रभाव
इस निर्णय से निवेशकों को राहत मिलेगी क्योंकि ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं हुई है। इससे लोन डिमांड बनी रहेगी और होम लोन, ऑटो लोन जैसी सुविधाएं महंगी नहीं होंगी। वहीं, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) के लिए यह संकेत है कि RBI सावधानी से आर्थिक स्थिति को संभाल रहा है। हालांकि, इस बीच वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, जो बाजार की स्थिरता पर दबाव बना सकती हैं। इस वजह से, निवेशकों को थोड़ी सतर्कता बरतने की जरूरत होगी।
भविष्य की राह
RBI ने स्पष्ट किया है कि वह आर्थिक परिस्थितियों पर नजर बनाए हुए है और जरूरत पड़ने पर मौद्रिक नीति में बदलाव कर सकता है। फिलहाल, यह फैसला आर्थिक स्थिरता के लिए अहम माना जा रहा है। ब्याज दरों में स्थिरता से बाजार में संतुलन बना रहेगा और आर्थिक विकास में बाधा नहीं आएगी। साथ ही, सरकार द्वारा किए जा रहे GST सुधार और महंगाई नियंत्रण के प्रयासों को भी समय मिलेगा।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति का यह निर्णय भारत की आर्थिक स्थिति में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू सुधारों के बीच यह फैसला बाजार के लिए संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा।
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