Navratri 3rd Day: शारदीय नवरात्रि का पर्व पूरे देश में बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। साल 2025 में यह पर्व 22 सितंबर से प्रारंभ हो चुका है और आज, बुधवार, 24 सितंबर को नवरात्रि का तीसरा दिन है। यह दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा के साथ-साथ उनकी पौराणिक कथा का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है।
शक्ति, साहस और रक्षा की देवी

मां चंद्रघंटा को साहस, वीरता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वे बाघ पर सवार होती हैं और उनके मस्तक पर अर्धचंद्र होता है, जो घंटे के आकार का होता है। यही कारण है कि उन्हें ‘चंद्रघंटा’ कहा जाता है। उनके दस भुजाएं विभिन्न शस्त्रों से सुसज्जित होती हैं, जो इस बात का संकेत है कि वह अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भय, शत्रु बाधा और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है। साथ ही, व्यक्ति को मानसिक बल, आत्मविश्वास और आंतरिक स्थिरता की प्राप्ति होती है।
मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक समय महिषासुर नामक राक्षस का आतंक समस्त लोकों में फैल गया था। उसका उद्देश्य स्वर्ग पर अधिकार कर देवराज इंद्र को पदच्युत करना था। उसने देवताओं के साथ भयंकर युद्ध छेड़ दिया और उन्हें पराजित करने लगा। इस स्थिति से भयभीत होकर सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे।
देवताओं की व्यथा सुनकर त्रिदेव अत्यंत क्रोधित हो उठे और उनके क्रोध से एक दिव्य ऊर्जा निकली। उसी ऊर्जा से एक दिव्य देवी का प्राकट्य हुआ। इस नवसृजित देवी को भगवान शंकर ने त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, सूर्य ने तेज और तलवार, इंद्र ने घंटा, तथा अन्य देवताओं ने विविध अस्त्र प्रदान किए। एक बाघ को वाहन स्वरूप सौंपा गया। इसी दिव्य रूप में देवी ने मां चंद्रघंटा के रूप में अवतार लिया और महिषासुर से युद्ध कर अंततः उसका वध किया। इस प्रकार देवताओं को राहत मिली और तीनों लोकों में पुनः शांति स्थापित हुई।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
