Parliament Dog Controversy: संसद के विंटर सेशन की शुरुआत वाले दिन कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका चौधरी द्वारा अपने पालतू कुत्ते को संसद परिसर में लाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। जहां बीजेपी सांसदों ने इसे नियमों का उल्लंघन बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है, वहीं रेणुका चौधरी ने अपने रुख को बिल्कुल स्पष्ट करते हुए कहा है कि उन्होंने किसी भी प्रकार का नियम नहीं तोड़ा।
Parliament Winter Session: SIR के मुद्दे पर संसद में गतिरोध जारी, दोनों सदनों की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित
BJP की आपत्तियों के बीच रेणुका चौधरी का पलटवार
बताते चले कि, विवाद बढ़ने के बीच रेणुका चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यदि उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की इच्छा है, तो वे ऐसा बेहिचक करें। उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा कि ऐसी किसी भी कार्रवाई से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। साथ ही उन्होंने पुराने राजनीतिक उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी एक बार बैलगाड़ी से संसद पहुंचे थे। रेणुका चौधरी ने कहा कि हिंदू धर्म में कुत्तों का स्थान सम्मानजनक माना गया है और वे मानती हैं कि उन्होंने किसी भी संसदीय नियम का उल्लंघन नहीं किया है।
राहुल गांधी की टिप्पणी से बढ़ा सियासी तंज का दौर
विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि आज देश का मुख्य मुद्दा सिर्फ “कुत्ता” बन गया है। जब मीडिया ने उनसे सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब दिया—“बेचारे कुत्ते ने क्या गलती की? क्या कुत्तों को यहां आने की अनुमति नहीं है?” राहुल ने आगे जोड़ा कि संभव है कि संसद में पालतू पशुओं की एंट्री पर नियम स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन वर्तमान माहौल देखकर लगता है कि देश में वास्तविक मुद्दों की बजाय ऐसी बातों पर चर्चा अधिक हो रही है।
घटना ने उठाए संसद परिसर में सुरक्षा और नियमों पर सवाल
मामला तब शुरू हुआ जब विंटर सेशन के पहले ही दिन रेणुका चौधरी अपने डॉग पेट के साथ संसद भवन पहुंची। यह दृश्य देखते ही सुरक्षाकर्मियों और सांसदों के बीच हलचल मच गई और देखते ही देखते यह मामला सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का केंद्र बन गया. बीजेपी नेताओं ने कहा कि संसद परिसर एक उच्च-सुरक्षा क्षेत्र है, जहां पर इस तरह पेट डॉग लाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। वहीं कांग्रेस नेताओं ने इसे “अनावश्यक विवाद” बताते हुए कहा कि नियम पुस्तिका में स्पष्ट रूप से कहीं भी इसका सीधा उल्लेख नहीं मिलता।

