Rohini Acharya: लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक और भावुक पोस्ट साझा कर पूरे राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी। उन्होंने अपने संदेश में लिखा कि एक बेटी, बहन, पत्नी और मां होने के बावजूद उन्हें अपमानित किया गया, गालियां दी गईं और चप्पल उठाकर धमकाया गया।रोहिणी ने आरोप लगाया कि अपनी बात रखने और आत्मसम्मान से समझौता न करने पर उन्हें परिवार से अलग होने को मजबूर किया गया। उनकी पोस्ट में उन्होंने यह भी लिखा कि उन्हें अपना मायका छोड़ने के लिए विवश किया गया, जिससे वह खुद को “अनाथ” महसूस कर रही हैं।
Rohini Acharya: क्यों सामने आई परिवार की कलह?
रोहिणी के इस पोस्ट ने यह साफ कर दिया कि लालू परिवार में पिछले कुछ समय से गहरे मतभेद चल रहे थे। उन्होंने खुलकर संकेत दिया कि अंदरूनी तनाव और राजनीतिक असहमति अब चरम पर पहुँच चुकी है, जिसके कारण उन्हें अपनी भावनाएँ सार्वजनिक करनी पड़ीं।सूत्रों के मुताबिक, विवाद की शुरुआत कल दोपहर हुई। रोहिणी ने चुनावी हार की समीक्षा करने और ज़िम्मेदारी तय करने की बात कही। उसी दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव से यह भी कहा कि संजय यादव को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराज़गी पर उन्हें उचित जवाब देना चाहिए।इस बात पर तेजस्वी नाराज़ हो गए और बहस बढ़ गई। आरोप है कि गुस्से में तेजस्वी ने बहन रोहिणी पर चप्पल फेंकी और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। तेजस्वी ने यह तक कह दिया कि उनकी वजह से चुनाव हारे और उनका “हाय” पार्टी को लग गया।
Rohini Acharya: रोहिणी को बुलाने से लेकर प्रचार पर रोक तक
दिलचस्प बात यह है कि चुनाव से पहले जब रोहिणी नाराज़ होकर सिंगापुर चली गई थीं, तब खुद तेजस्वी ने उन्हें राघोपुर में प्रचार करने के लिए बुलाया था।रोहिणी ने लौटकर विवाद को शांत करने की कोशिश भी की। मीडिया में उन्होंने किसी भी मतभेद से इनकार किया।लेकिन विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान रोहिणी को अपने गृहक्षेत्र सारण के सभी इलाकों में प्रचार की अनुमति नहीं दी गई। उन्हें केवल राघोपुर तक सीमित रखा गया, जिससे उनकी नाराज़गी और बढ़ गई।सूत्र बताते हैं कि जुलाई 2023 में तेजस्वी ने खुद रोहिणी को सारण से चुनाव लड़ने को कहा था। रोहिणी ने जवाब दिया कि वह तभी फैसला करेंगी जब लालू यादव की सहमति मिलेगी।सहमति मिलने के बाद रोहिणी ने पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, लेकिन मीसा भारती इसके लिए तैयार नहीं थीं। अंततः रोहिणी को सारण से चुनाव लड़ना पड़ा।
संजय यादव की बदली राय से बढ़ी दूरी
करीबी सूत्रों के अनुसार, लोकसभा चुनाव से करीब डेढ़ साल पहले, यानी नामांकन से बहुत पहले, संजय यादव ने रोहिणी के प्रति अपना रुख बदलना शुरू कर दिया था। उन्होंने कथित तौर पर रोहिणी को तेजस्वी के राजनीतिक भविष्य के लिए “खतरा” बताया और सुझाव दिया कि रोहिणी को राजनीति छोड़ देनी चाहिए।बताया जा रहा है कि कई बार उन्हें अपमानित भी किया गया। यहाँ तक कि सारण में उन्हें चुनाव हरवाने की कोशिश की गई और इसके लिए लालू परिवार के एक करीबी MLC की मदद ली गई, जो स्वयं उसी सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते थे।
चुनाव हार के बाद भी नहीं मिला समर्थन
रोहिणी की करीबी टीम का दावा है कि चुनाव हारने के बाद भी पार्टी के दो विधायकों ने उनका समर्थन नहीं किया। रोहिणी की नाराज़गी के बावजूद दोनों नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया गया, जिस पर भी उन्होंने आपत्ति जताई।रोहिणी आचार्य के लगातार पोस्टों से यह स्पष्ट है कि लालू परिवार में गहरी राजनीतिक और पारिवारिक खाई उभर चुकी है। उनके शब्दों से आहत और मायूसी साफ झलकती है। अब सवाल यह है कि क्या यह विवाद यहीं रुकेगा या आगे और खुलकर सामने आएगा।
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