Rohit Vemula Case : हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता रोहित वेमुला की मौत की जांच की फाइल फिर से खुलने वाली है! तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क ने यह दावा किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार रोहित वेमुला की मौत की नए सिरे से जांच शुरू करना चाहती है। इसके लिए उच्च न्यायालय में एक अर्जी दायर की गई है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि पीएचडी छात्र की मौत में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
2016 में हुई थी रोहित वेमुला की मौत
तीन महीने पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को एक पत्र लिखा था। उस पत्र में उन्होंने रोहित के नाम पर जाति-भेदभाव विरोधी कानून बनाने का अनुरोध किया था। तब से तेलंगाना कांग्रेस सरकार सक्रिय है। गौरतलब है कि 17 जनवरी 2016 को हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रावास से शोध छात्र रोहित वेमुला का शव बरामद हुआ था। उस समय पुलिस ने दावा किया था कि रोहित ने छात्रावास में आत्महत्या की थी। इस बीच यह आरोप लगाया गया कि घटना से बारह दिन पहले रोहित और पांच अन्य शोधकर्ताओं को विश्वविद्यालय के छात्रावास से निकाल दिया गया था। इस घटना के बाद पूरे देश में गुस्सा भड़क उठा। आरोप लगाया गया कि दलित छात्र रोहित को जातिगत भेदभाव का शिकार होना पड़ा।
भाजपा नेता को को क्लीन चिट
इस बीच मई 2024 में पुलिस ने रोहित की मौत की फाइल बंद कर दी। नतीजतन आरोपी भाजपा नेता और अन्य को क्लीन चिट मिल गई। उस समय पुलिस ने दावा किया कि रोहित दलित नहीं था। उसका जाति प्रमाण पत्र फर्जी था। इस मामले के उजागर होने के डर से रोहित ने आत्महत्या कर ली। इसके बाद इस मामले को लेकर विवाद हुआ।
रोहित की मौत की जांच फिर से शुरू
हालांकि इस बार तोलंगाना की कांग्रेस सरकार ने रोहित की मौत की जांच शुरू करने के लिए उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया है। उपमुख्यमंत्री भट्टी ने आरोप लगाया कि तत्कालीन एमएलसी रामचंद्र राव जिन्होंने आंदोलनकारी छात्रों के खिलाफ जवाबी मुकदमा दर्ज करने का दबाव बनाया था, को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। यहां तक कि इस घटना के मुख्य आरोपी सुशील कुमार को दिल्ली में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया है।
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