RPF: मातृत्व और ड्यूटी का संगम, क्या फर्ज और ऑफिस दोनों एक साथ निभाना है सही?

सोशल मीडिया पर उनकी बहादुरी की सराहना की जा रही है और उन्हें बधाई दी जा रही है। यह तस्वीर महिला पुलिसकर्मियों की मेहनत और समर्पण का प्रतीक बन चुकी है।

Shilpi Jaiswal

नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी को महाकुंभ जाने वाली ट्रेनों के प्लेटफार्म बदलने के कारण यात्रियों के बीच भगदड़ मच गई, जिससे 18 लोगों की जान चली गई। इस हादसे के बाद कुंभ मेला यात्रा के लिए यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। इस बीच, सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें महिला RPF जवान रीना अपनी 1 साल की बेटी को गोद में लेकर ड्यूटी करती हुई नजर आ रही हैं।

वह स्टेशन पर भगदड़ रोकने और यात्रियों को सतर्क करने में जुटी हुई थीं। रीना की यह तस्वीर लोगों को प्रेरणा दे रही है, जहां एक ओर वह अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं, वहीं दूसरी ओर अपने परिवार का भी ध्यान रख रही हैं। सोशल मीडिया पर उनकी बहादुरी की सराहना की जा रही है और उन्हें बधाई दी जा रही है। यह तस्वीर महिला पुलिसकर्मियों की मेहनत और समर्पण का प्रतीक बन चुकी है।

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वर्किंग मदर्स है आसान

आपको पता होगा कि, भारत में अधिकतर ऑफिसों में वर्किंग मदर्स के लिए कोई खास पॉलिसी नहीं होती। बच्चों को वर्कप्लेस पर लाना मना होता है क्योंकि मैनेजमेंट का मानना है कि इससे प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ता है। वहीं, जो महिलाएं बच्चे को साथ लाती हैं, उन्हें अक्सर अन्य कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, प्रेग्नेंट महिलाओं को भी केवल इस कारण से नौकरी नहीं दी जाती। हालांकि, कुछ कंपनियां ऐसी हैं जहां चाइल्ड केयर फैसिलिटी दी जाती है, लेकिन यह बहुत कम कंपनियों में है।

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बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी

हमारे समाज में अक्सर यह माना जाता है कि, बच्चों की देखभाल केवल मां की जिम्मेदारी है, जबकि यह दोनों माता-पिता की जिम्मेदारी होनी चाहिए। छोटे बच्चों को ऑफिस ले जाना किसी महिला की समझदारी नहीं, बल्कि मजबूरी होती है। यह स्थिति तब और जटिल हो जाती है, जब बच्चा रात भर रोता है और मां को ही उसे संभालना पड़ता है, जबकि पुरुष दूसरे कमरे में सो जाते हैं। ऐसे में महिला का बच्चे को गोद में लेकर ड्यूटी पर जाना एक सामान्य सी बात बन जाती है, लेकिन यह उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर असर डालता है। बच्चा जब लंबे समय तक मां के साथ रहता है, तो उसकी मानसिक और शारीरिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं, जिससे उसका विकास रुक सकता है।

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वर्क फ्रॉम होम का सबसे अच्छा विकल्प

इसके अलावा, छोटे बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, और ऑफिस के वातावरण में वह इंफेक्शन का शिकार हो सकते हैं। यदि बच्चा छोटा है और काम जरूरी है, तो वर्क फ्रॉम होम का विकल्प सबसे अच्छा हो सकता है। इस स्थिति में महिला घर पर रहते हुए दोनों काम कर सकती है—बच्चे की देखभाल और ऑफिस का काम। अगर ऑफिस से छुट्टी मिल सकती है, तो बेहतर है कि छुट्टी ली जाए। इसके अलावा, इस स्थिति में पति को भी समझदारी दिखानी चाहिए। अगर वह बच्चे की देखभाल करते हैं, तो महिला पर काम का बोझ कम होगा।

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