Russia Ukraine War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए यूक्रेन को फिर से हथियारों की आपूर्ति शुरू कर दी है। हाल की घटनाओं और बयानों से संकेत मिल रहे हैं कि ट्रंप, व्लादिमीर पुतिन से बेहद नाराज़ हैं और यदि हालात बिगड़ते हैं, तो अमेरिका ईरान की तरह रूस के खिलाफ भी सीधे सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
पहले किया था इनकार, अब फिर से भेजी हथियारों की खेप
कुछ समय पहले ट्रंप ने यूक्रेन को हथियार भेजने से मना कर दिया था, जिसे हथियारों के स्टॉक को लेकर चिंता से जोड़ा गया। लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप का मानना था कि यह लड़ाई अमेरिका की नहीं है और इसमें शामिल होना सही नहीं होगा। लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं और अमेरिका ने पैट्रियट मिसाइल इंटरसेप्टर जैसे अहम रक्षात्मक हथियारों की खेप यूक्रेन को भेजनी शुरू कर दी है।
इजराइल-ईरान संघर्ष में भी अमेरिका ने दिखाई थी सैन्य शक्ति
हाल ही में अमेरिका ने ईरान और इजराइल के संघर्ष के दौरान ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए थे। इसके बाद अमेरिका ने दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने में भी भूमिका निभाई थी। जानकारों का मानना है कि ईरान पर बमबारी करते वक्त ट्रंप को भले ही सैन्य कार्रवाई में हिचकिचाहट हुई हो, लेकिन अब वे यूक्रेन युद्ध को लेकर भी गंभीर कदम उठा सकते हैं।
जर्मनी पर दबाव, वैकल्पिक समाधान की तलाश
राष्ट्रपति ट्रंप की नीति अब केवल हथियार भेजने तक सीमित नहीं है। वह यूरोपीय देशों, विशेष रूप से जर्मनी, पर भी दबाव बना रहे हैं कि वे यूक्रेन को पैट्रियट बैटरी जैसे उन्नत हथियार उपलब्ध कराएं। अमेरिका फिलहाल 10 पैट्रियट इंटरसेप्टर भेजने का वादा कर चुका है और अन्य विकल्पों पर काम जारी है।
पुतिन से बातचीत के बाद और बढ़ा ट्रंप का गुस्सा
रूस के राष्ट्रपति पुतिन से हालिया बातचीत में उन्होंने शांति की इच्छा जताई थी, लेकिन इसी के तुरंत बाद कीव पर रूस ने बड़ा हमला कर दिया। यह घटना ट्रंप को नागवार गुज़री। इसे ही यूक्रेन को हथियार भेजने के पीछे की सीधी वजह माना जा रहा है। दूसरी ओर, ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच फोन कॉल को अब तक की सबसे सकारात्मक बातचीत बताया जा रहा है। इसमें ट्रंप ने जेलेंस्की से यूक्रेन की हवाई सुरक्षा मजबूत करने का भरोसा दिया।
डोनाल्ड ट्रंप की हालिया नीतियों से यह साफ है कि वह रूस की आक्रामकता को लेकर अब सख्त रवैया अपना चुके हैं। भले ही अमेरिका ने अभी तक सीधे युद्ध में शामिल होने का ऐलान नहीं किया हो, लेकिन हथियारों की आपूर्ति, कूटनीतिक दबाव और सैन्य विकल्पों की तैयारी यह संकेत देती है कि अगर रूस ने हमले और तेज किए, तो ट्रंप प्रशासन सीधी सैन्य कार्रवाई से भी पीछे नहीं हटेगा। आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि अमेरिका इस टकराव को किस दिशा में ले जाता है।