Sabrimala Temple: केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर से सोने की चोरी के मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने बुधवार को मंदिर के पूर्व अधिकारी बी. मुरारी बाबू को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल मुरारी से तिरुवनंतपुरम के क्राइम ब्रांच ऑफिस में पूछताछ की जा रही है। जांच एजेंसी जल्द ही उन्हें पथानामथिट्टा की अदालत में पेश कर कस्टडी की मांग करेगी। SIT को इस मामले में 6 हफ्ते के अंदर रिपोर्ट पेश करनी है।
चोरी के मामले और आरोप
मुरारी बाबू पर मंदिर की द्वारपालक मूर्तियों और गर्भगृह के दरवाजों की सोने की प्लेटों से सोना गायब करने का आरोप है। इस मामले की जांच त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (TDB) ने शुरू की थी, जिसमें बोर्ड के 9 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लिया गया था। बाद में मामला केरल हाईकोर्ट तक पहुंचा, जहां 6 अक्टूबर को SIT गठन की गई।
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बी. मुरारी बाबू का निलंबन
आपको बता दें कि, 7 अक्टूबर को TDB ने जांच के दौरान बी. मुरारी बाबू को निलंबित कर दिया था। बोर्ड का आरोप था कि उन्होंने 2019 में सबरीमाला के प्रवेश द्वार की सोने की मूर्तियों को तांबे की बताकर रिपोर्ट तैयार की, जो एक गंभीर चूक थी। हालांकि मुरारी ने इन आरोपों से इंकार किया और कहा कि यह रिपोर्ट तांत्री की सलाह से बनाई गई थी, क्योंकि उस वक्त मूर्तियों पर असल में तांबे की परत ही दिख रही थी।
उन्नीकृष्णन पोट्टी भी आरोपी
बताते चलें कि, इस मामले में उन्नीकृष्णन पोट्टी का भी नाम सामने आया है। TDB की जांच रिपोर्ट के अनुसार, पोट्टी ने मूर्तियों पर सोने की परत चढ़ाने का प्रस्ताव रखा था और इसके लिए उसे काफी मात्रा में सोना दिया गया था। जांच में यह भी पाया गया कि पोट्टी के द्वारा गर्भगृह के दरवाजे की मरम्मत के खर्चे असल में एक व्यापारी गोवर्धनन ने उठाए थे।
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हाईकोर्ट की टिप्पणियां
6 अक्टूबर को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने पोट्टी को करीब 475 ग्राम सोना दिए जाने की बात कही। साथ ही पोट्टी ने 2019 में TDB के अध्यक्ष को एक ईमेल भेजा था जिसमें बताया गया था कि कुछ सोना बचा हुआ है, जिसे वह जरूरतमंद लड़की की शादी में खर्च करना चाहता है।
इसके अलावा, 29 सितंबर को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने TDB की कड़ी फटकार लगाई थी क्योंकि बोर्ड ने मंदिर की कीमती वस्तुओं का सही रिकॉर्ड नहीं रखा था। अदालत ने कहा कि इस वजह से चोरी को छुपाने में मदद मिली।
मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि
सबरीमाला मंदिर लगभग 800 साल पुराना है और इसे शैव और वैष्णव संप्रदायों के बीच मध्य मार्ग के रूप में स्थापित किया गया था। यह मंदिर अय्यप्पा स्वामी को समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव और विष्णु के अवतार मोहिनी के पुत्र माना जाता है। मंदिर की खासियत यह है कि यहां महिलाओं का प्रवेश परंपरागत रूप से वर्जित है, और दर्शन के लिए 41 दिनों का कठोर व्रत आवश्यक होता है।


