Saffron clothes in Kanwar Yatra: सावन के पवित्र महीने में हर साल लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। इस यात्रा का उद्देश्य पवित्र नदियों से जल भरकर उसे अपने नगर या गांव के शिव मंदिर में ले जाकर भगवान भोलेनाथ को अर्पित करना। इस साल यह यात्रा 11 जुलाई से शुरू होने जा रही है।
कांवड़ यात्रा सनातन धर्म में भक्ति, श्रद्धा और तपस्या का प्रतीक मानी जाती है। कांवड़ यात्रा के दौरान अधिकतर श्रद्धालु भगवा वस्त्र धारण करते हैं। यह केवल एक परिधान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और धार्मिक भावना से जुड़ी परंपरा है। तो हम आपको अपने इस लेख द्वारा इसी रंग के महत्व से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
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भगवा वस्त्र पहनने की परंपरा

सनातन धर्म में भगवा रंग त्याग, तपस्या, सेवा और भक्ति का प्रतीक माना गया है। यही रंग संन्यासियों और साधुओं का होता है, जो संसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर ईश्वर में लीन रहते हैं। कांवड़ यात्रा में भगवा वस्त्र पहनकर श्रद्धालु यह दर्शाते हैं कि वे अपने सामान्य जीवन की जिम्मेदारियों और इच्छाओं से ऊपर उठकर भगवान शिव की भक्ति में लीन हैं। यह रंग उनके समर्पण और त्याग की भावना को प्रकट करता है।
आध्यात्मिक ऊर्जा
भगवा वस्त्र सिर्फ धार्मिकता का प्रतीक नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा और आत्मबल का भी प्रतीक है। कांवड़ यात्रा के दौरान भगवा रंग पहनने से भक्तों के अंदर संयम, ऊर्जा, आत्मविश्वास और भक्ति की भावना अधिक प्रबल हो जाती है।
यह रंग सात्विक जीवन शैली का प्रतीक बन जाता है, जहां भक्त ब्रह्मचर्य, संयम, सच बोलने और मांस-मदिरा से दूर रहने जैसे नियमों का पालन करते हैं। यह यात्रा एक तपस्या का रूप ले लेती है, जहां केवल शरीर नहीं, बल्कि मन और आत्मा भी शिव भक्ति में रच-बस जाती है।
नियमों का पालन
भगवा वस्त्र धारण करने वाले कांवड़ियों को कुछ नियमों का पालन करना होता है
1.मांस और मदिरा से दूरी
2.झूठ न बोलना
3.ब्रह्मचर्य का पालन
4.संयमित आहार और आचरण

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
