Sai Sudarshan: लगातार सेलेक्शन को लेकर उठते सवालों के बीच भारतीय बल्लेबाज साई सुदर्शन ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरी टेस्ट की पहली पारी में बेहतरीन प्रदर्शन कर अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया है। भले ही वह शतक से चूक गए, लेकिन उनकी 87 रनों की पारी ने सभी का ध्यान खींचा है। इससे पहले उन्होंने तीन टेस्ट मैचों में कोई खास प्रभाव नहीं डाला था, लेकिन इस पारी ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया है।
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23 साल बाद दोहराया गया इतिहास
बताते चले कि, दिल्ली के मैदान पर साई सुदर्शन की यह पारी खास इसलिए भी रही क्योंकि उन्होंने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 165 गेंदों में 87 रन बनाए और यह प्रदर्शन 23 साल बाद किसी बाएं हाथ के बल्लेबाज ने इस क्रम पर किया है। इससे पहले साल 2002 में सौरव गांगुली ने जिम्बाब्वे के खिलाफ तीसरे नंबर पर खेलते हुए 136 रन बनाए थे, और वह भी दिल्ली के ही मैदान पर। अब इतने वर्षों बाद एक बार फिर वही नज़ारा साई की बल्लेबाज़ी के जरिए दोहराया गया।
गांगुली के बाद तीसरे नंबर पर बाएं हाथ का बल्ला बोला
भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में तीसरे नंबर पर लंबे समय तक राहुल द्रविड़ और फिर चेतेश्वर पुजारा जैसे दिग्गज बल्लेबाज खेले, लेकिन ये दोनों दाएं हाथ के खिलाड़ी थे। बाएं हाथ के बल्लेबाज के रूप में इस स्थान पर साई सुदर्शन की मौजूदगी एक नई शुरुआत की तरह मानी जा रही है। 2002 के बाद पहली बार किसी बाएं हाथ के बल्लेबाज ने इस क्रम पर ऐसी लंबी पारी खेली है।
शतक से चूके लेकिन पारी रही प्रभावशाली
साई सुदर्शन ने अपनी पारी में 165 गेंदों का सामना करते हुए 12 चौकों की मदद से 87 रन बनाए। यह उनका टेस्ट करियर का दूसरा अर्धशतक है। इससे पहले उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट में 61 रन बनाए थे। इस पारी के जरिए उन्होंने यह दिखा दिया कि उनमें टेस्ट स्तर पर खेलने की क्षमता और धैर्य दोनों मौजूद हैं।
नई उम्मीद की झलक, सुदर्शन ने बनाया मजबूत दावा
भले ही साई सुदर्शन शतक से चूक गए हों, लेकिन उनकी यह पारी भारतीय टेस्ट टीम के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। तीसरे नंबर पर बाएं हाथ के बल्लेबाज़ की मौजूदगी भारत को संतुलन दे सकती है। अगर वह लगातार इस तरह के प्रदर्शन करते रहे, तो आने वाले समय में वह टीम इंडिया के मिडिल ऑर्डर का एक अहम हिस्सा बन सकते हैं।

