Sanjauli Masjid Vivad: मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने का काम तेज, शिमला के आयुक्त कोर्ट में 15 मार्च को होगी सुनवाई

Aanchal Singh
sanjauli masjid case

Sanjauli Masjid Vivad: शिमला के संजौली मस्जिद विवाद (Sanjauli Masjid Dispute) में आयुक्त कोर्ट में 15 मार्च को सुनवाई होने वाली है। इस सुनवाई से पहले, मस्जिद कमेटी ने मस्जिद की अवैध संरचनाओं को तोड़ने का काम तेजी से शुरू कर दिया है। खासकर, मस्जिद की पांचवीं और चौथी मंजिल की छत और दीवारों को पहले ही हटा दिया गया था। अब, तीसरी मंजिल की छत और चौथी मंजिल के पिलरों को तोड़ने का काम शुरू किया गया है।

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कब पेश की जाएगी रिपोर्ट ?

रमजान के महीने में इस काम की गति को और तेज कर दिया गया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि वे पुराने आदेशों का पालन करने के लिए रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे आगामी सुनवाई में पेश करेंगे। इस दौरान यह भी तय होगा कि नीचे की दो मंजिलों के निर्माण की वैधता को लेकर क्या निर्णय लिया जाएगा। इस फैसले का सीधा असर वक्फ बोर्ड द्वारा पेश किए जाने वाले दस्तावेजों पर भी होगा।

मस्जिद विवाद के बाद हिंदू संगठनों ने किया था प्रदर्शन

मस्जिद विवाद की शुरुआत शिमला के मतियाणा क्षेत्र में कुछ युवकों की पिटाई के बाद हुई थी, जिसके कारण संजौली मस्जिद के खिलाफ हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया। 11 सितंबर को, मस्जिद कमेटी ने खुद ही अवैध हिस्से को हटाने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने 5 अक्टूबर को तीन मंजिलों को तोड़ने की अनुमति दी। हालांकि, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत से भी मुस्लिम पक्ष को कोई राहत नहीं मिली थी।

अवैध निर्माण पर कार्यवाही तेज

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में मुस्लिम पक्ष की अपील को 30 नवंबर को खारिज कर दिया गया था। अब इस मामले में आयुक्त कोर्ट में सुनवाई जारी है, जिसमें नीचे की दो मंजिलों के वैध या अवैध होने पर फैसला लिया जाएगा। इस बीच, मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को तोड़ने के काम को और तेजी से शुरू कर दिया है, जिससे यह मामला फिर से चर्चा का विषय बन गया है।

वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों से होगा असर

आयुक्त कोर्ट में आगामी सुनवाई इस बात पर निर्भर करेगी कि वक्फ बोर्ड द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों का क्या असर होता है। इस विवाद से जुड़े सभी पक्षों के लिए यह सुनवाई महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इसमें मस्जिद की वैधता और अवैध निर्माण को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इस मामले का समाधान भारतीय न्याय प्रणाली और संबंधित अधिकारियों की कार्रवाई पर आधारित होगा।

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