Sanjauli Mosque Row: हिमाचल प्रदेश के संजौली इलाके में अवैध घोषित मस्जिद को लेकर विवाद शुक्रवार को एक बार फिर सुर्खियों में आया। जुमे की नमाज अदा करने के लिए कुछ मुस्लिम मस्जिद पहुंचे, लेकिन केवल एक व्यक्ति ही वहां नमाज पढ़ सका। उधर, इलाके में हिंदू संगठनों की भूख हड़ताल अब भी जारी है, जो कोर्ट के आदेशों के तहत मस्जिद को गिराने की मांग कर रहे हैं। तनाव के बावजूद, दोनों समुदायों ने संयम बनाए रखा और क्षेत्र में शांति बनी रही।
Sanjauli Mosque Row: जुमे की नमाज में सिर्फ एक व्यक्ति
जुमे की नमाज के दौरान मस्जिद में इक्का-दुक्का ही नमाजी पहुंचे। मौलवियों ने पहले ही सामूहिक नमाज न पढ़ने की अपील कर दी थी। प्रशासन ने किसी पर पाबंदी नहीं लगाई, लेकिन कानूनी विवाद के कारण मौलवी ने सामूहिक नमाज से परहेज करने का अनुरोध किया। इस दौरान स्थानीय निवासी रियासत अली ही अकेले नमाज पढ़ सके। उन्होंने मीडिया से कहा कि समुदाय कोर्ट के निर्देशों का इंतजार कर रहा है और किसी भी कार्रवाई के लिए अदालत के आदेश का पालन किया जाएगा।
Sanjauli Mosque Row: विवाद का इतिहास
मामला शिमला के मैहली इलाके में दो गुटों के आपस में भिड़ने के बाद गंभीर रूप ले चुका है। इस घटना के बाद पुलिस ने मस्जिद से 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। अगले दिन हिंदू संगठनों ने मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। 7 सितंबर, 2024 को शिमला नगर निगम कोर्ट में सुनवाई हुई। प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की लाठीचार्ज ने मामले को और जटिल बना दिया। 5 अक्टूबर, 2024 को नगर निगम आयुक्त ने मस्जिद की तीन मंजिलों को तोड़ने का आदेश दिया। जिला न्यायालय ने मस्जिद को तोड़ने पर स्टे लगाने से इनकार किया, और मामला 28 अक्टूबर, 2025 को हाई कोर्ट पहुंचा।
मस्जिद पूरी तरह अवैध घोषित
मई 2025 में दो अतिरिक्त मंजिलों को तोड़ने का आदेश भी आया। मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड कोर्ट में आवश्यक दस्तावेज पेश नहीं कर पाए, जिसके चलते कोर्ट ने मस्जिद को पूरी तरह अवैध घोषित कर दिया। देवभूमि हिंदू संघर्ष समिति ने प्रशासन के सामने अपनी मांग दोहराई कि कोर्ट के आदेश का पालन हो और मस्जिद की पूरी इमारत गिरा दी जाए। उन्होंने बिजली और पानी की सप्लाई भी काटने की मांग की।संगठन के नेताओं ने यह भी कहा कि केवल एक मुस्लिम नमाजी माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहा था। उनके खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई। इसके साथ ही समुदायों के बीच किसी भी तरह के अप्रिय हालात से बचने के लिए पुलिस और प्रशासन सतर्क हैं।
कोर्ट और प्रशासन की भूमिका
हाई कोर्ट में मामला विचाराधीन है और अब यह तय करेगा कि मस्जिद पर क्या कार्रवाई की जाए। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि विवाद के दौरान कानून और व्यवस्था बनी रहे। स्थानीय समाज और धार्मिक संगठन भी कोर्ट के आदेश का पालन करने और शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए सक्रिय हैं।संजौली मस्जिद विवाद अब तक कई सालों से खड़ा है। कोर्ट के आदेश और प्रशासन की भूमिका इस मामले को सुलझाने की कुंजी हैं। दोनों समुदायों ने फिलहाल संयम बनाए रखा है, लेकिन मस्जिद को गिराने और नियमों का पालन कराने की मांगों के कारण विवाद अभी भी ज्वलंत है। उच्च न्यायालय का फैसला भविष्य में इस मामले की दिशा तय करेगा।
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