Sanjay Raut India Pakistan: एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच 14 सितंबर को अबू धाबी में होने वाले हाई-वोल्टेज क्रिकेट मैच से पहले राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इस मैच का कड़ा विरोध करते हुए इसे “देशद्रोह” करार दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, और शहीदों का खून अभी सूखा नहीं है।”
संजय राउत का भावुक बयान
संजय राउत ने कहा “पहलगाम में हमारी 26 महिलाओं का सिंदूर मिटा दिया गया। उनका दुख और आक्रोश आज भी थमा नहीं है। वे सदमे में हैं। ऐसे में अबू धाबी में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना सीधा देशद्रोह है।” उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा”आपने कहा था कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते, तो फिर खून और क्रिकेट एक साथ कैसे चल सकते हैं?”
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। इनमें कई महिलाएं भी शामिल थीं। इस घटना के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की थी। सेना ने 28 जुलाई तक 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया। संजय राउत का कहना है कि यह ऑपरेशन अभी भी अधूरा है और पाकिस्तान को सबक सिखाना बाकी है। ऐसे में पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के खेल आयोजन को देश के प्रति बेइमानी और शहीदों का अपमान माना जाना चाहिए।
‘सिंदूर रक्षा आंदोलन’ का ऐलान
शिवसेना (यूबीटी) की महिला इकाई रविवार को “सिंदूर रक्षा आंदोलन” आयोजित करेगी। इस आंदोलन के तहत महाराष्ट्र की हजारों महिलाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिंदूर भेजेंगी। आंदोलन का मकसद शहीदों की विधवाओं और देश की माताओं-बहनों के सम्मान की रक्षा करना है।संजय राउत ने कहा “यह सिर्फ एक क्रिकेट मैच नहीं, बल्कि देश के जख्मों पर नमक है। शिवसेना मैदान में उतरेगी और इसका विरोध हर स्तर पर करेगी।”
खेल बनाम राष्ट्रहित: बहस तेज
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हमेशा राजनीतिक और भावनात्मक मुद्दा रहा है। एक ओर बीसीसीआई इसे खेल भावना के तहत देखता है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और शहीदों के सम्मान से जोड़कर देख रहा है। अब सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे हालात में भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए? संजय राउत के तीखे बयान ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि “क्या क्रिकेट को आतंकवाद से अलग रख पाना संभव है?” और “क्या शहीदों के सम्मान की कीमत पर खेल संबंध बनाए रखने चाहिए?” आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराने की संभावना है।
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