Sankashti Chaturthi 2025: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन संकष्टी चतुर्थी को बेहद ही खास माना गया है जो कि भगवान श्री गणेश को समर्पित है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं।
मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है और कष्टों का निवारण हो जाता है। अभी सावन का पवित्र महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को गजानन संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जा रहा है जो कि बेहद ही खास होती है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से सुख समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है, तो हम आपको गजानन संकष्टी चतुर्थी की तारीख और पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं।
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कब है गजानन संकष्टी चतुर्थी?

हिंदू पंचांग के अनुसार 14 जुलाई को देर रात 1 बजकर 2 मिनट पर कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ होगा ओर 14 जुलाई की देर रात 11 बजकर 59 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। वहीं उदया तिथि के अनुसार 14 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा।
गणेश पूजा की विधि
आपको बता दें कि चतुर्थी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करें। अब व्रत का संकल्प करें और एक साफ स्थान पर गणेश प्रतिमा स्थापित कर भगवान को सिंदूर और चंदन का तिलक लगाएं। उन्हें लाल रंग के पुष्प और 21 दूर्वा की गांठें अर्पित करें।
इसके बाद भगवान को मोदक या लड्डूओं का भोग लगाएं। घी का दीपक और धूप जलाकर भगवान की विधिवत पूजा करें। इसके बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। फिर भगवान श्री गणेश की आरती करें रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को जल अर्पित करे साथ ही ‘ॐ चंद्राय नमः’ मंत्र का भी जाप करें। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण कर अपने व्रत को खोलें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।