Sarzameen Review: भारत और पाकिस्तान के तनावपूर्ण संबंधों पर अब तक कई फिल्में बन चुकी हैं, वहीं कश्मीर को केंद्र में रखकर भी दर्शकों को अलग-अलग कहानियाँ दिखाई गई हैं। ऐसे में जियो सिनेमा पर रिलीज़ हुई ‘सरज़मीन’ एक नई कोशिश के तौर पर सामने आई है।
इस फिल्म को करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन ने बनाया है और इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी स्टारकास्ट पृथ्वीराज सुकुमारन, काजोल और इब्राहिम अली खान। फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ होते ही लोगों की उत्सुकता बढ़ गई थी और फिल्म देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि वह उम्मीदें काफी हद तक पूरी हुई हैं।
देशभक्ति और पारिवारिक रिश्तों का मेल

‘सरज़मीन’ की कहानी है कर्नल विजय मेनन (पृथ्वीराज सुकुमारन) की, जो एक जिम्मेदार और राष्ट्रभक्त सैनिक हैं। वो अपनी पत्नी मेहर मेनन (काजोल) और बेटे हरमन मेनन (इब्राहिम अली खान) के साथ रहते हैं। कहानी तब मोड़ लेती है जब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की नजर हरमन पर पड़ती है। वे कर्नल मेनन से एक ऐसा काम करवाना चाहते हैं जो देशविरोधी है, लेकिन विजय इसके लिए तैयार नहीं होता। यहीं से उनके परिवार की ज़िंदगी में भूचाल आ जाता है।
कहानी में देश के प्रति समर्पण और पारिवारिक रिश्तों की गहराई को अच्छे से दिखाया गया है। बाप-बेटे, मां-बेटे और पति-पत्नी के बीच का इमोशनल बॉन्ड फिल्म की आत्मा है।
दमदार स्क्रीनप्ले और खूबसूरत प्रस्तुति
फिल्म की स्क्रीनप्ले और रफ्तार काफी संतुलित है। कहानी कहीं भी खिंचती नहीं और दर्शक अंत तक जुड़े रहते हैं। क्लाइमैक्स में एक अप्रत्याशित मोड़ आता है जो दर्शकों को चौंका देता है।
इसकी सिनेमैटोग्राफी आकर्षक है और कश्मीर की खूबसूरती के साथ-साथ तनाव के माहौल को बखूबी दिखाया गया है। बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म के इमोशन्स को और भी मजबूती देता है, वहीं गाने भी कहानी के साथ मेल खाते नजर आते हैं।
हर कलाकार ने निभाया अपना किरदार बखूबी
अगर फिल्म में अभिनय की बात करें तो, पृथ्वीराज सुकुमारन इस फिल्म की रीढ़ हैं। उनका किरदार प्रभावशाली है और उन्होंने अपनी परफॉर्मेंस से उसे जीवंत बना दिया है। काजोल ने भी अपनी भूमिका में गहराई दिखाई है, खासकर क्लाइमैक्स में उनका अभिनय बेहद प्रभावशाली है।
इब्राहिम अली खान, जो पहले “नादानियां” में नजर आए थे, उन्होंने इस फिल्म में काफी परिपक्व अभिनय किया है। उन्हें देखकर लगता है कि उन्होंने पिछली आलोचनाओं से सबक लिया है। मिहिर आहूजा भी अपने रोल में फिट बैठे हैं।
राइटिंग और निर्देशन
फिल्म की कहानी आयुष सोनी ने लिखी है और निर्देशन किया है कायोज़े ईरानी ने। स्क्रिप्ट में देशभक्ति और पारिवारिक भावनाओं को संतुलित तरीके से जोड़ा गया है। निर्देशन साफ-सुथरा और सधा हुआ है, जिससे फिल्म दर्शकों से कनेक्ट करने में सफल रहती है।
‘सरज़मीन’ एक ऐसी फिल्म है जो न सिर्फ देशभक्ति को उजागर करती है बल्कि उसमें पारिवारिक संवेदनाओं की भी गहराई दिखाती है। इसमें इमोशन, थ्रिल और एक मैसेज तीनों हैं।
रेटिंग: 3/5 स्टार

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