Satara Doctor Suicide : महाराष्ट्र के सतारा में हुई महिला डॉक्टर की आत्महत्या ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। अब इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना को “संस्थागत हत्या” करार देते हुए बीजेपी सरकार पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पीड़ित डॉक्टर एक ईमानदार और होनहार चिकित्सक थीं, जिन्हें भ्रष्ट व्यवस्था और राजनीतिक दबाव ने आत्महत्या के लिए मजबूर किया।
राहुल गांधी बोले-“पीड़िता के परिवार के साथ खड़ा हूं”
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, “सतारा की युवा डॉक्टर की मौत किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक भ्रष्ट तंत्र की विफलता का परिणाम है। यह एक ऐसी त्रासदी है जो किसी भी सभ्य समाज की अंतरात्मा को झकझोर देती है। मैं इस न्याय की लड़ाई में पीड़ित परिवार के साथ मजबूती से खड़ा हूं।”उन्होंने दावा किया कि शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक बीजेपी से जुड़े कुछ स्थानीय नेता और पुलिस अधिकारी डॉक्टर पर अस्पताल में भ्रष्ट गतिविधियों के लिए दबाव बना रहे थे। राहुल गांधी ने इसे “भ्रष्टाचार और सत्ता के गठजोड़ का नतीजा” बताया।
डॉक्टर ने होटल में की आत्महत्या
यह घटना गुरुवार रात की है जब सतारा जिले के एक होटल के कमरे में सरकारी अस्पताल में तैनात महिला डॉक्टर का शव फंदे से लटका मिला। डॉक्टर ने अपनी हथेली पर मराठी में दो नाम लिखे थे सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदाने और प्रशांत बांकर।सुसाइड नोट में लिखा था कि गोपाल बदाने ने पिछले पांच महीनों में चार बार रेप किया, जबकि मकान मालिक का बेटा प्रशांत बांकर उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था।पुलिस ने दोनों आरोपियों को अब गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है।
पुलिस और नेताओं पर दबाव बनाने के आरोप
शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि डॉक्टर ने पहले कई बार अपने अधिकारियों को शिकायत दी थी कि उस पर अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए लाए गए आरोपियों को फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट देने का दबाव बनाया जा रहा है।डॉक्टर ने यह भी लिखा था कि उसकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और उसे लगातार धमकाया जा रहा था।
राहुल गांधी का आरोप-“भ्रष्ट व्यवस्था ने ली बेटी की जान”
राहुल गांधी ने कहा कि “दूसरों के दर्द को कम करने की आकांक्षा रखने वाली एक होनहार बेटी को उस व्यवस्था ने खत्म कर दिया, जिसका दायित्व था अपराधियों से जनता की रक्षा करना।”उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और राजनीतिक संरक्षण पाने वाले सभी आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। यह घटना न केवल पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि महिला डॉक्टरों की सुरक्षा और कार्यस्थल पर उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों को भी फिर से केंद्र में ला देती है।
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