Satya Pal Malik Death: जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय के राज्यपाल रह चुके सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया. वह 79 वर्ष के थे और दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पिछले कई दिनों से भर्ती थे. अस्पताल के अनुसार, उनका निधन दोपहर 1:10 बजे हुआ. उनके निजी सचिव केएस राणा ने उनके निधन की पुष्टि की. सत्यपाल मलिक के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी उनके निधन की जानकारी साझा की गई.
कृषि आंदोलन और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर खुलकर रखी राय

सत्यपाल मलिक को उनकी बेबाक शैली के लिए जाना जाता था. उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन, भ्रष्टाचार और कई राष्ट्रीय मुद्दों पर खुले तौर पर राय रखी थी. यही कारण रहा कि वे सत्ता में रहते हुए भी विपक्ष की तरह अपनी बातें रखते थे, जिससे वे लगातार चर्चा में बने रहते थे.
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद बने पहले उपराज्यपाल
सत्यपाल मलिक का नाम जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के साथ जुड़ा है. जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए, उस समय सत्यपाल मलिक वहां के राज्यपाल थे. इसके बाद जब राज्य को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला, तब वे इसके पहले उपराज्यपाल बने.
राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से की थी

सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से विज्ञान और कानून की पढ़ाई की थी. छात्र राजनीति से शुरुआत करते हुए वे 1968-69 में छात्र संघ अध्यक्ष बने और 1974 में पहली बार विधायक चुने गए. वे 1980 से 1989 तक राज्यसभा सदस्य रहे. 1989 में जनता दल से अलीगढ़ से सांसद भी चुने गए।
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके थे
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर कई दलों से होकर गुजरा. वे भारतीय क्रांति दल, जनता दल, लोकदल, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अंततः भारतीय जनता पार्टी में रहे। वर्ष 2012 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था.
राज्यपाल के तौर पर कई राज्यों में दी सेवा
उन्होंने सितंबर 2017 से अगस्त 2018 तक बिहार, मार्च 2018 से अगस्त 2018 तक ओडिशा के प्रभारी राज्यपाल, अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर, नवंबर 2019 से अगस्त 2020 तक गोवा और अगस्त 2020 से अक्टूबर 2022 तक मेघालय में राज्यपाल के रूप में सेवा दी.
नेताओं ने जताया शोक

सत्यपाल मलिक के निधन पर राजनीतिक जगत से शोक की लहर दौड़ गई। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, भाकियू नेता राकेश टिकैत, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, जेडीयू नेता केसी त्यागी, रालोद के रोहित अग्रवाल, कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह और तारिक अनवर सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनकी निर्भीकता और किसान हितैषी छवि को याद किया।
किसानों और गांव की आवाज हमेशा बुलंद की
सत्यपाल मलिक को ग्रामीण भारत और किसानों की आवाज कहे जाने का गौरव मिला। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में सदैव किसानों, लोकतंत्र और पारदर्शिता की बात की। उनके निधन को एक साहसी और स्पष्टवादी सार्वजनिक व्यक्तित्व के अंत के रूप में देखा जा रहा है.
सत्यपाल मलिक के निधन पर समूचा राजनीतिक और सामाजिक तंत्र शोकाकुल है। ओजस्वी वक्ता, निर्भीक नेता और किसानों की बुलंद आवाज रहे सत्यपाल मलिक को देश हमेशा याद रखेगा। उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियां भी स्मरण करेंगी.